पीएम मोदी की पश्चिमी देशों की यात्रा के क्‍या है बड़े कूटनीतिक मायने, बाइडन प्रशासन में क्‍यों है खलबली? एक्‍सपर्ट व्‍यू

मोदी की यूरोपीय देशों की यात्रा के क्‍या बड़े निहितार्थ है? क्‍या इस यात्रा को रूस यूक्रेन जंग से उपजे कूटनीतिक हालात के रूप में देखा जा सकता है? मोदी की पश्चिमी देशों की यात्रा ऐसे समय हो रही है ज‍ब भारत और अमेरिका के बीच दूरी बढ़ी है?

 

नई दिल्‍ली,  कूटनीतिक लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की फ्रांस, जर्मनी और डेनमार्क की यात्रा काफी अहम है। पीएम मोदी की यूरोपीय देशों की यात्रा ने यह स्‍थापित किया है कि पश्चिमी देशों में भारत की न सिर्फ स्‍वीकार्यता बढ़ी है, बल्कि भारत को एक बड़ी ताकत के रूप में भी देखा जा रहा है। आखिर पीएम मोदी की यूरोपीय देशों की यात्रा के क्‍या बड़े निहितार्थ है? क्‍या इस यात्रा को रूस यूक्रेन जंग से उपजे कूटनीतिक हालात के रूप में देखा जा सकता है? खास बात यह है कि मोदी की पश्चिमी देशों की यात्रा ऐसे समय हो रही है ज‍ब रूस यूक्रेन जंग को लेकर भारत और अमेरिका के बीच दूरी बढ़ी है? क्‍या पीएम मोदी की यात्रा को इस लिहाज से भी देखा जा रहा है?

1- सामरिक मामलों के जानकार प्रो अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की पश्चिमी देशों की यात्रा के बड़े निहितार्थ हैं। रूस यूक्रेन जंग के दौरान अमेरिका ने लगातार भारत की तटस्‍थता नीति की निंदा की है। इस युद्ध के दौरान भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में कहीं न कहीं एक दूरी बनी है। अमेरिका व उसके समर्थक देश भारत पर लगातार यह दबाव बना रहे हैं कि वह अपनी युद्ध में तटस्‍थता नीति का त्‍याग करे। वह रूस यूक्रेन जंग में भारत के दृष्टिकोण का विरोध कर रहा हैं। हालांकि, भारत का कहना है कि वह युद्ध के खिलाफ है। भारत दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का हिमायती है। भारत ने यह भी साफ किया है कि वह जंग के दौरान तटस्‍थता नीति का अनुपालन कर रहा है।

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2- प्रो सिंह का कहना है कि मोदी की पश्चिमी देशों की यात्रा भारत के लिए एक सकारात्‍मक पहल है। कूटनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो हिंद प्रशांत के मुद्दे पर यूरोपीय देशों का समर्थन जुटाना भारत के लिए कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। खासकर हिंद प्रशांत क्षेत्र के मुद्दे पर जर्मनी, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ रणनीतिक आपसी सहयोग के लिए फ्रांस ने सकारात्‍मक संकेत दिए हैं। इन देशों ने स्‍पष्‍ट किया है कि वह भारत के साथ खड़े हैं। उन्‍होंने कहा कि पीएम मोदी की यात्रा से यह साफ हो गया है कि फ्रांस न स‍िर्फ रक्षा क्षेत्र बल्कि आतंकवाद से लेकर हिंद प्रशांत क्षेत्र के मुद्दे पर भारत के साथ खड़ा है। फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और पीएम मोदी के दो दौर की बैठकों के बाद जारी साझा बयान से इस बात की पुष्टि होती है।

 

3- उन्‍होंने कहा कि दरअसल, हिंद प्रशांत क्षेत्र भौगोलिक और सामरिक लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। इस विशाल भूभाग में चीन की बढ़ती दिलचस्‍पी से भारत समेत दुनिया के अन्‍य मुल्‍क चिंतित हैं। दक्षिण चीन सागर में तो पहले ही उसने अपने सैन्य अड्डे स्‍थापित कर लिए हैं। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है। ड्रैगन इन दोनों महासागरों में समुद्री मार्ग पर कब्जा करने की कोशिश में है। दुनिया का लगभग आधा समुद्री परिवहन इसी रास्ते होता है। कई जगहों पर तो चीन ने अपने मनमाने नियम लागू कर दिए हैं। इसे लेकर अमेरिका के साथ उसका टकराव निरंतर बढ़ रहा है। दोनों मुल्‍कों में कई बार जंग जैसी नौबत भी आ गई। इसीलिए आज इस मुद्दे पर जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देश भारत के साथ आ रहे हैं।

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4- प्रो सिंह ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत और अमेरिका के बीच दूरी बढ़ी है। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल में अमेरिका ने क्‍वाड में दक्षिण कोरिया को शामिल करने की बात कही है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्‍वाड में दक्षिण कोरिया भारत का स्‍थान ग्रहण कर सकता है। इसके पूर्व भी अमेरिका कई मौकों पर भारत को आगाह कर चुका है। इस बाबत बाइडन प्रशासन के कई शीर्ष अधिकारी भारत का दौरा कर चुके हैं। वह भारत की तटस्‍थ नीति का विरोध कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत अपने स्‍टैंड पर कायम है। भारत कह चुका है कि भारत के लिए जितना उपयोगी अमेरिका है, उतना वह रूस के साथ भी दोस्‍ती कायम रखेगा।

 

5- पाकिस्‍तान में इमरान सरकार के जाने के बाद बाइडन प्रशासन शहबाज सरकार के साथ रिश्‍ते कायम करने का इच्‍छुक है। यही कारण है कि पाकिस्‍तान में बिलावल भुट्टो के विदेश मंत्री बनाए जाने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने उनको फोन पर बधाई दी है। दोनों नेताओं ने अपने संबंधों को आगे ले जाने की बात कही। दोनों नेताओं ने परस्पर लाभकारी पाकिस्तान-अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की। बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों के विभिन्न आयामों पर विचार साझा किए गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच लंबे समय से व्यापक संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच परस्पर सम्मान और परस्पर हितों पर आधारित, सार्थक और सतत रिश्ते क्षेत्र में तथा उससे बाहर शांति, विकास और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अहम हैं। अमेरिका और पाकिस्‍तान की निकटता कहीं न कहीं भारतीय हितों को प्रभावित करेगी।

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