पुलिसकर्मियों पर से अतिरिक्त कार्य का बोझ कम करना होगा!

ऐसे सभी कार्य जिनके लिये अलग से विभाग हैं उन विभागों के कार्यों में पुलिस का हस्तक्षेप समाप्त करके उन विभागों को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिये ! जिसके कारण अपराध नियंत्रण में पुलिस ज्यादा समय दे पायेगी ! अंत में बात राजनीतिज्ञों की पुलिस का जितना अपमान राजनीतिज्ञ करते हैं ,उतना कोई नहीं अक्सर राजनेता पुलिसकर्मी की वर्दी उतरवाते नज़र आते हैं !
उत्तर प्रदेश लख़नऊ ( अनिल मेहता )  पुलिस का मुख्य कार्य है,अपराध नियंत्रण परन्तु पुलिस विभाग में ऐसा नहीं है, वास्तविकता यह है कि अतिक्रमण से लेकर सड़कों पर घूम रहे छुट्टा जानवर,अवैध शराब बनाने वाले या अवैध रूप से पेड़ों की कटान सब कार्यों का बोझा पुलिसकर्मियों के उपर डाल दिया गया है ! नतीजा पुलिसकर्मी अपराध नियंत्रण पर पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं ! वास्तविकता यह है कि ,होटल,ढाबा जिनको प्रशासन,लाइसेन्स प्रदान करता है ! होटलों तथा ढाबों पर अराजक तत्वों का जमावड़ा लगता है इसमें भी पुलिसकर्मी की ही सिरदर्दी है !इसी प्रकार से वाहनों की चेकिंग परिवहन या ट्रैफिक पुलिस को करनी चाहिये वाहन चेकिंग मे भी सिविल पुलिस लगाई जाती है,किरायेदारों का सत्यापन भी पुलिस को ही करना पड़ता है! जबकि यह कार्य नगर निगम का है ! गढ्ढे वाली सड़कों पर तमाम दुर्घटनायें होती हैं ! पर सम्बन्धित विभागों पर कोई कार्यवाही नहीं होती ! आई-गई सिविल पुलिस के मत्थे हो जाती है ! इसी प्रकार,हरे पेड़ो की कटान में !
वन विभाग के कर्मचारी वेतन पूरा लेते हैं !और जिम्मेदारी पुलिस की होती है,ऐसा ही कुछ हाल आबकारी विभाग का है ! क्षेत्रों में अवैध शराब का निर्माण होता रहता है और आबकारी विभाग हाँथ पर हाँथ धरे बैठा रहता है ! ये जिम्मेदारी भी पुलिस विभाग उठाता है ! ऐसा ही हाल अतिक्रमण करने वालों का है,नगर निगम,विकासप्राधिकरण पहले तो अतिक्रमण होने देते हैं बाद में या तो पुलिस की मदद ली जाती है या अतिक्रमण का दोषारोपण पुलिसकर्मियों पर कर दिया जाता है ! ऐसे सभी कार्य जिनके लिये अलग से विभाग हैं उन विभागों के कार्यों में पुलिस का हस्तक्षेप समाप्त करके उन विभागों को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिये ! जिसके कारण अपराध नियंत्रण में पुलिस ज्यादा समय दे पायेगी ! अंत में बात राजनीतिज्ञों की पुलिस का जितना अपमान राजनीतिज्ञ करते हैं ,उतना कोई नहीं अक्सर राजनेता पुलिसकर्मी की वर्दी उतरवाते नज़र आते हैं ! ऐसे राजनीतिज्ञों से कोई पूछे पुलिसकर्मी ने स्वयं परिश्रम करके पहनी है या उसकी जगह नेता जी दौड़ लगाने गये थे !
एक मजेदार वाक्या उ०प्र० की राजधानी लखनऊ में देखने को मिला लखनऊ के हज़रत गंज मे वाहन चेक कर रहे पुलिसकर्मी को एक नेता जी वर्दी उतरवाने की धमकी दे रहे थे ! मेरे ये पूछने पर क्या नेताजी आपने सिपाही की जगह दौड़ लगाई थी या सिपाही ने परिक्षा में आपसे कोई मदद ली थी ! नेता जी आप क्यों इसकी वर्दी उतरवायेंगे आप लोगों के द्वारा बनाये गये नियम-कानून का ये सिपाही पालन करवा रहा है ! नेता जी मेरा परिचय पूछ कर निरउत्तर हो कर चले गये ! पुलिस विभाग का जितना सत्यानाश वर्तमान के राजनीतिज्ञों ने किया उतना किसी ने नहीं किया ! उ०प्र०के मुख्यमंत्री जी को चाहिये कि उ०प्र० पुलिस को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ पुलिसकर्मियों पर कार्य का बोझ कम करें ताकि पुलिसकर्मी बेहतर ढंग से अपराध नियंत्रण कर सकें !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *