पूर्व सांसद दाऊद की अवैध बिल्डिंग को गिराने में दबा जेसीबी चालक, ट्रॉमा सेंटर रेफर,

जिलाधिकारी और लवीप्रा वीसी अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर पूर्व संसद दाऊद अहमद व सिम्मी बनो के अवैद अपार्टमेंट पर बुलडोजर चलाने के निर्देश दिए थे। अवैध अपार्टमेंट के ध्वस्तिकरण के निर्देश पहले ही दिए जा चूके थे।

 

लखनऊ, लखनऊ विकास प्राधिकरण की ओर से पूर्व सांसद दाऊद अहमद की अवैध बिल्डिंग ढहा दी है। इस दौरान जेसीबी चालक के ऊपर मलबा आ गिरा। लगभग आधे घंटे की मेहनत के बाद चालक को मलबे से सही सलामत निकाला गया। मौके पर एडीसीपी राजेश श्रीवास्तव, एसीपी चौक आईपी सिंह, एसडीएम सहित तमाम पुलिस मौजूद रही। घायल जेसीबी चालाक को इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर भेजा गया। लखनऊ विकास प्राधिकरण की ओर से पूर्व सांसद दाऊद अहमद का अवैध बिल्डिंग ढहा दी है। एलडीए ने दाऊद का वजीरहसन रोड स्थित चार मंजिला अवैध अपार्टमेंट रविवार सुबह 6 बजे से गिराना शुरू कर दिया था। वहीं दोपहर डेढ़ बजे तक पूरी बिल्डिंग तोड़ दी गई। न्यायालय में पूर्व सांसद पर कई मामला चलाये जा रहे थे। कोर्ट ने पुरातत्‍व विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र न लेने के कारण मामला चंद दिन पहले ही खारिज कर दिया था।

जिलाधिकारी और लवीप्रा वीसी अभिषेक प्रकाश के निर्देश पर पूर्व संसद दाऊद अहमद व सिम्मी बनो के अवैद अपार्टमेंट पर बुलडोजर चलाने के निर्देश दिए थे। अवैध बिल्डिंग के ध्वस्तिकरण के निर्देश पहले ही दिए जा चूके थे। वर्ष 2017 मे लविप्रा को अंधेरे रखकर और पुरातत्व विभाग से एनओसी लिये बिना ही पूर्व सांसद दाऊद अहमद ने वजीरहसन रोड पर पांच मंजिला अवैध अपार्टमेंट खड़ा कर दिया था। जिसके बाद भारतीय पुरातत्व विभाग ने जिलाधिकारी से दाऊद के अवैध बिल्डिंग गिराने को कहा था।

बता दें कि पूर्व सांसद ने चार मंजिला की जगह पांच मंजिला बिल्डिंग बना ली थी। मामला बढऩे पर स्वयं पांचवीं मंजिल गिराई। फिर लविप्रा के प्रवर्तन से जुड़े अभियंताओं ने गिरवा दी। सवाल उठा कि रेजीडेंसी से यह अपार्टमेंट 200 मीटर से कम दूरी पर है और पुरातत्व विभाग ने लविप्रा के मानचित्र सेल व अन्य अफसरों से कई बार पत्राचार किया, लेकिन नियमों की अनदेखी करते हुए अपार्टमेंट खड़ा कर दिया गया। अब पुरातत्व विभाग का जवाब आने पर लविप्रा की किरकिरी हो गई है। नक्शा पास करने वाले सभी अभियंताओं पर कभी भी कार्रवाई हो सकती है। सचिव लविप्रा पवन कुमार गंगवार ने बताया कि पत्र पुरातत्व विभाग से प्राप्त हो गया है। अब मानचित्र सेल से भी जवाब मांगा जाएगा और उस समय तैनात रहे अभियंताओं की सूची भी।

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