पत्रकारों के लिए ग़लत साबित हो जाती है पत्रकार ने आपके लिए अपना पेट्रोल फूंका अपने मोबाइल से सम्बन्धित अधिकारियों से सम्पर्क किया अगर उसने अपना मेहनताना मांगा तो क्या बुरा किया ध्यान रहे पत्रकार अवैतनिक है। तमाम पत्रकार धनाढ्य नहीं होते पर जनसेवा जज्बा उनमें होता है।
लखनऊ : आवाज़ — ए — लखनऊ” उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ , वर्तमान में कुछ लोगों के लिए पत्रकारिता अपनी रोजी रोटी चलाने का एक जरिया है पर कुछ पत्रकारों के लिए ऐसा नहीं है । कुछ लोग पत्रकारिता के क्षेत्र में आते हैं जन सेवा के लिए महात्मा गांधी, तथा अटल बिहारी वाजपेई, गणेश शंकर विद्यार्थी,लाला लाजपत राय इसी श्रेणी के पत्रकार थे, कुछ लोग पत्रकारिता में आते हैं रोजी-रोटी कमाने के लिए। पत्रकारिता में रोजी-रोटी कमाने आये बेरोजगार पत्रकारों को येन केन प्रकरण पैसे कमाने होते हैं वो लोग खबरों से समझौता कर लेते हैं!
पर वेतनभोगी पत्रकार खबरों से समझौता नहीं करते यदा,कदा वो भी कर लेते हैं पैसा किसको बुरा लगता है। लेकिन अगर अवैतनिक पत्रकारों से पूछा जाता है तो वे नकार जाते हैं। यही बात लोकल समाचारपत्रों के पत्रकारों के लिए ग़लत साबित हो जाती है पत्रकार ने आपके लिए अपना पेट्रोल फूंका अपने मोबाइल से सम्बन्धित अधिकारियों से सम्पर्क किया अगर उसने अपना मेहनताना मांगा तो क्या बुरा किया ध्यान रहे पत्रकार अवैतनिक है। तमाम पत्रकार धनाढ्य नहीं होते पर जनसेवा जज्बा उनमें होता है। ऐसे पत्रकारों पर उंगली उठाना ग़लत है। सम्पादकों को प्रेस का पहचान पत्र बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रेस के पहचान पत्र धारक व्यक्ति कार्ड का दुरूपयोग तो नहीं करेगा। जो कार्ड का दुरूपयोग करे उसका कार्ड तत्काल निरस्त कर देना चाहिए।