एक अध्ययन में कहा गया कि 2100 तक 5 में से चार ग्लेशियर खत्म हो सकते हैं। कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय अमेरिका में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड राउंस ने यह अध्ययन किया है।
वॉशिंगटन, एजेंसी। जीवाश्म ईंधन का उपयोग यूहीं बेरोकटोक जारी रहा, तो 80 प्रतिशत से अधिक ग्लेशियर इस सदी के अंत तक गायब हो सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, अगर नंबर की बात करें, तो हर पांच में चार ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे।
निष्कर्षों से पता चला है कि दुनिया इस सदी में अपने कुल ग्लेशियर द्रव्यमान का 41 प्रतिशत तक खो सकती है। आज के जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों के आधार पर कम से कम 26 प्रतिशत ग्लेशियर का द्रव्यमान खत्म हो जाएगा।
अध्ययन में कहा गया है कि जैसे मिस्र में हुए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीओपी 27) में पर्यावरण के लिए अनुकूलन और शमन चर्चाएं हुई थीं। उसी का समर्थन करने के लिए अनुमानों को वैश्विक तापमान परिवर्तन परिदृश्यों में एकत्रित किया गया था।
ग्लेशियरों के गायब होने का पड़ता है नकारात्मक असरअध्ययन में कहा गया है कि खोए हुए ग्लेशियरों में से अधिकांश मानकों के अनुसार छोटे (एक वर्ग किमी से कम) हैं। मगर, उनका नुकसान स्थानीय जल विज्ञान, पर्यटन, ग्लेशियर खतरों और सांस्कृतिक मूल्यों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।