प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दुनिया की सबसे लंबी यात्रा पर निकलने वाले रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास को रवाना किया। 52 दिन में करीब 3200 किमी की दूरी तय कर डिब्रूगढ़ पहुंचेने वाले गंगा विलास के यात्रा की खासियत जानिए…
वाराणसी, दुनिया की सबसे लंबी यात्रा पर निकलने वाले रिवर क्रूज एमवी गंगा विलास को आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पीएम ने विदेशी यात्रियों को बधाई भी दी। यह क्रूज 52 दिन में करीब 3200 किमी की दूरी तय कर डिब्रूगढ़ पहुंचेगा। फाइव स्टार सुविधा और आधुनिक तकनीक से युक्त जलयान का सफर कई मायने में वैश्विक स्तर के मापदंडों पर खरा उतरता है। लिहाजा, इसमें सफर करने वाले विदेशी सैलानी भी सुविधाओं को लेकर काफी संतुष्ट हैं। आइए जानते हैं काशी से डिब्रूगढ़ तक गंगा विलास के सफर की खासियत…
36 पर्यटकों की यात्राजलयान में 36 पर्यटक एक साथ यात्रा कर सकते हैं। पहले सफर में वाराणसी से स्विट्जरलैंड के कुल 32 पर्यटक यात्रा करेंगे। इसमें से 10 पर्यटक कोलकाता में उतर जाएंगे और स्विट्जरलैंड के ही इतने नए यात्री वहां आगे के सफर के लिए जुड़ जाएंगे।
परोंसेंगे भारतीय व्यंजनयात्रा के दौरान जलयान में भारतीय व्यंजन विदेशी सैलानियों को परोसा जाएगा। इस दौरान वाराणसी की जलेबी- कचोरी और चाट, बिहार की बाटी- चोखा तो बंगाल में जलयान के पहुंचते ही भुजिया चावल भी जायके में शामिल होगा। इसके अतिरिक्त नाश्ते में चूड़ा- मटर, इडली, सांभर, चाय- कॉफी आदि पर्यटकों को परोसे जाएंगे।
सुविधाओं पर जोर40 कर्मचारियों से युक्त गंगा विलास जलयान कोलकाता में 18 माह में बनकर तैयार हुआ था। जलयान पूरी तरह भारतीय राज्य से साज-सज्जा संयुक्त है। इसमें शयनयान, किचन, जिम, रेस्टोरेंट, सैलून, गीत संगीत, चिकित्सा, ओपन स्पेस सहित इसमें सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं हैं।
सफर में खासभारत में 25 हजार रुपये और बांग्लादेश में 50 हजार रुपये प्रति दिन किराया है। आते समय (अपस्ट्रीम) लगभग 12 किलोमीटर और जाते समय (डाउनस्ट्रीम) लगभग 20 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से सफर तय होगा।
यह होंगे रूट
आधुनिक सुविधाओं से युक्त स्क्रूज यात्रा का रूट वाराणसी और गाजीपुर होते हुए बक्सर से पटना, मुंगेर और भागलपुर की सुल्तानपुर, बंगाल से बांग्लादेश होते हुए डिब्रूगढ़ तक होगा। इस दौरान अलग-अलग शहरों में इसका लगभग 50 जगहों पर ठहराव होगा।
पर्यावरण का ख्यालजलयान के अत्याधुनिक उपकरण गंगा को प्रदूषित होने से बचाने के साथ ही पर्यावरण स्वच्छ रखने में मददगार है। जलयान में पानी के लिए आरओ और एसटीपी प्लांट लगा है, ताकि दूषित पानी गंगा में न जाए। इसके अतिरिक्त प्लास्टिक का भी प्रयोग नहीं किया जाता है। प्रदूषण और शोर रहित प्रणाली से सफर के साथ नदी का इको सिस्टम भी प्रभावित नहीं होगा।
क्या कहते हैं अधिकारीअंतर जलयान के डायरेक्टर राज सिंह ने बताया कि जलयान में वाराणसी से 32 पर्यटक सवार होकर पहली बार इस यात्रा का आनंद लेंगे। इसमें 10 लोग कोलकाता में उतर जाएंगे उतने ही यात्री वहां से आगे के सफर के लिए जुड़ जाएंगे। जलयान के संचालन को लेकर देश- दुनिया में उत्सुकता देखी जा रही है।