इसमें किसी अन्य देश को दखल नहीं देना चाहिए। प्रो. पंत ने कहा कि क्वाड और आकस के गठन के बाद अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलावा आया है। अमेरिका जानता है कि चीन और पाकिस्तान से भारत को बड़ी सामरिक चुनौती मिल रही है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। चीन के बढ़ते खतरे के बीच भारत को इस साल एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो जाएगी। भारतीय वायु सेना प्रमुख ने इसकी पुष्टि की है। उधर, रूसी अधिकारियों ने कहा है कि यह डील पहले से तय समय के अनुसार अपने निर्धारित ट्रैक पर चल रही है। हालांकि, रूस के साथ इस रक्षा सौदे का अमेरिका विरोध करता रहा है। एस-400 डील को लेकर अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंधों की धमकी दी है। ऐसे में भारत की विदेश नीति के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह अपनी रूस की इस डील के साथ अमेरिका से अपने संबंधों को मधुर बनाए रखे। क्या है इस मिसाइल की खूबियां।
भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा प्राथमिक
- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि रूस और भारत के बीच यह करार राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया है। भारत कई बार अपनी सुरक्षा चिंताओं को अमेरिका के सामने रख चुका है। हाल में भारत सरकार ने अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन के दौरे के समय भारत ने अपनी सुरक्षा समस्याओं का हवाला दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब भारत की आंतरिक और वाह्य हालात पहले जैसे नहीं हैं।
- भारत, अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी और रणनीतिक साझेदार है। जहां तक सवाल अमेरिकी प्रतिबंधों का है, तो इसे लेकर भी अमेरिकी राजनेताओं में दो फाड़ है। एक भारत के पक्ष में है तो दूसरा भारत विरोधी है। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि इसमें भारत के साथ अमेरिकी सहयोग का पलड़ा भारी है। यह भारतीय कूटनीति के लिए एक बेहतर स्थिति है।
- उन्होंने कहा कि इसके बावजूद, अमेरिका को यह समझाना होगा कि चीन के बढ़ते तनाव के बीच यह करार उसकी सुरक्षा के लिए जरूरी है। उन्होंने कहाकि भारत को यह साफ करना होगा कि हम एक संप्रभु और लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं। हम अपने सुरक्षा दायित्व को पूरा करने के लिए भी स्वतंत्र हैं। इसमें किसी अन्य देश को दखल नहीं देना चाहिए।
- प्रो. पंत ने कहा कि क्वाड और आकस के गठन के बाद अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलावा आया है। अमेरिका जानता है कि चीन और पाकिस्तान से भारत को बड़ी सामरिक चुनौती मिल रही है। ऐसे में यह उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरिका इस आपूर्ति पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया नहीं देगा।
अमेरिकी थाड से बेहतर रूसी S-400 मिसाइल
- S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है। S-400 दुश्मन के हवाई हमलों को नाकाम करने में पूरी तरह से सक्षम है। यह मिसाइल सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को भी 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट कर सकता है।
- इसका पूरा नाम S-400 ट्रायम्फ है। इसे नाटो देशों में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। रूस द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम जमीन से हवा में मार करने में सक्षम है।
- S-400 मिसाइल सेना में शामिल होने के बाद किसी भी देश की सीमाओं की सुरक्षा अधिक और हमले का खतरा कम हो जाता है। यह सिस्टम किसी भी संभावित हवाई हमले का पता पहले ही लगा लेता है।
- एस-400 मिसाइल सिस्टम अत्याधुनिक रडारों से लैस है। इसमें लगा हुआ अत्याधुनिक राडार 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है। सेटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं।
- S-400 मिसाइल सिस्टम अत्याधुनिक रडार से लैस है। यह 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है। सेटेलाइट से कनेक्ट रहने की वजह से जरूरी सिग्नल और जानकारियां तुरंत मिलती हैं।
- इसके अत्याधुनिक राडार दुश्मन का पता लगाते ही अपने कंट्रोल कमांड को सिग्नल भेजते हैं। इसमें टारगेट की दूरी, उसकी स्पीड समेत सभी जरूरी सूचनाएं शामिल होती हैं। इसके बाद कमांड कंट्रोल की तरफ से मिसाइल लांच का आदेश दिया जाता है।
- इसके लांचर से 48N6 सीरीज की मिसाइलें लांच की जा सकती हैं। इसे अमेरिका के थाड (टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम से बेहतर माना जाता है।
- यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 लक्ष्यों पर निशाना लगा सकता है। इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है। इसकी कुछ बड़ी खासियतों में से एक इसको आसानी से ले जाना और तैनात करना भी है।
- इसमें चार अलग-अलग रेंज में अचूक निशाना साधने वाली मिसाइल हैं। इनमें 40N6E और 48N6 मिसाइल करीब 400 और 250 किमी की दूरी में निशाना लगा सकती है, जबकि 9M96E2 और 9M96E मिसाइल 120 और 40 किमी के दायरे में दुश्मन को ढेर कर सकती है।