भारत के विनिर्माण उद्योग के उत्पादन में मजबूत वृद्धि हुई है और कंपनियों ने अंतिम वित्तीय तिमाही के मध्य में नए ऑर्डर बनाए रखे हैं। फर्मों को मांग में मजबूती से विकास की संभावनाओं के लिए अच्छा संकेत मिलने की उम्मीद थी।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क । भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार फरवरी में बीते चार महीनों में सबसे धीमी गति से हुआ। एसएंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स फरवरी में 55.3 पर रहा, जो जनवरी में 55.4 से थोड़ा बेहतर था। इससे पता चलता है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सुधार हो रहा है।
भारत के विनिर्माण उद्योग ने अंतिम वित्तीय तिमाही में उत्पादन और नए ऑर्डर की मजबूत वृद्धि को बनाए रखा, हालांकि अंतरराष्ट्रीय बिक्री में उल्लेखनीय कमी आई। कंपनियों ने इनपुट खरीद को बढ़ाना जारी रखा, जबकि परिचालन लागत पर दबाव कम रहने से कौकरियों की संख्या में आंशिक विस्तार हुआ। इस बीच, इनपुट लागत मुद्रास्फीति चार महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
नए ऑर्डर मिलने की गति धीमी
डाटा से पता चला है कि घरेलू बाजार कंपनियों के व्यापार के विकास का मुख्य स्रोत था, क्योंकि विदेशों से नए ऑर्डर केवल आंशिक रूप से बढ़े। मौजूदा 11 महीने की अवधि की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बिक्री में वृद्धि सबसे कमजोर थी। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में इकोनॉमिक्स की एसोसिएट डायरेक्टर पोलीन्ना डी लीमा ने कहा कि कंपनियों को मांग के लचीलेपन पर भरोसा था और उन्होंने अतिरिक्त इनपुट जोड़कर बिजनेस बढ़ाने का प्रयोग करना जारी रखा।
लगातार 20वें महीने बेहतर रहा पीएमआई
भारत के विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि की रफ्तार फरवरी में बरकरार रही और नए ऑर्डर के साथ-साथ उत्पादन भी जनवरी के समान बढ़ रहे हैं। फरवरी का पीएमआई डाटा लगातार 20वें महीने के लिए समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार की ओर इशारा करता है।
आपको बता दें कि पीएमआई (PMI) की भाषा में 50 से ऊपर का मतलब विस्तार होता है, जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है। नवंबर में 26 महीने के निचले स्तर पर गिरने के बाद इनपुट लागत मुद्रास्फीति हर महीने बढ़ी।