संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को ‘विफल’ करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद लेने का संकल्प जताया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संकट से निपटने के लिए सुरक्षा परिषद् एकजुट नहीं हुआ है। म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता पर नियंत्रण करने के बाद स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई।
म्यांमार में सेना ने सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लिया और स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिंत और देश के अन्य शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया। सू ची पर अवैध रूप से वॉकी-टॉकी का आयात करने का आरोप है और इस आरोप में उन्हें 15 फरवरी तक हिरासत में रखा जा सकता है।
गुतेरेस ने ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘दुर्भाग्य से इस संबंध में सुरक्षा परिषद् एकजुट नहीं हो सका और तख्तापलट को विफल बनाने की खातिर म्यामां पर पर्याप्त दबाव बनाने के लिए हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रमुख देशों की मदद लेंगे।’ गुतेरेस ने कहा कि म्यांमार में नवंबर के चुनाव ‘शांतिपूर्ण’ संपन्न होने के बाद यह ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ है कि चुनाव परिणामों और जनाकांक्षा को खारिज कर दिया जाए।
म्यांमार की स्थिति पर सुरक्षा परिषद् ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है। गुतेरेस ने साक्षात्कार में कहा, ‘सू ची पर अगर हम कोई आरोप लगा सकते हैं तो वह यह है कि वह सेना के काफी नजदीक थीं और उन्होंने रोहिंग्या के खिलाफ सैन्य अभियान को लेकर सेना का काफी बचाव किया जिससे काफी संख्या में वहां से पलायन हुआ।’ उन्होंने कहा कि सू ची ने अंतरराष्ट्रीय अदालत में भी सेना का बचाव किया।
उन्होंने कहा, ‘इसलिए अगर हम उन पर कोई आरोप लगा सकते हैं तो वह यह है कि वह सेना के काफी निकट थीं। तख्तापलट पूरी तरह अस्वीकार्य है और मुझे उम्मीद है कि म्यामां में एक बार फिर से लोकतंत्र आगे बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि इसे हासिल करने के लिए सभी कैदियों को रिहा किया जना चाहिए और संवैधानिक व्यवस्था फिर से बहाल की जानी चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर एकजुट होगा।