यूक्रेन जंग के दौरान रूसी सैनिकों को सर्दियों की चिंता सता रही है। यूक्रेन में एक महीने बाद कड़ाके की ठंड पड़ेगी। रूसी सेना को यह चिंता सता रही है कि यूक्रेनी सेना रूस के कब्जे वाले इलाकों को छुड़ाने की कोशिश कर सकती है।
नई दिल्ली, यूक्रेन जंग के दौरान रूसी सैनिकों को सर्दियों की चिंता सताने लगी है। यह माना जा रहा है कि यूक्रेन में एक महीने बाद कड़ाके की ठंड पड़ेगी। ऐसे में रूसी सैनिकों को यह चिंता सता रही है कि यूक्रेनी सेना रूस के कब्जे वाले इलाकों को छुड़ाने की कोशिश कर सकती है। यह बाधा यूक्रेनी सैनिकों के समक्ष भी खड़ी होगी। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यूक्रेन के उत्तर पूर्वी इलाके में तापमान इतना गिर जाएगा कि जंग के मैदान बर्फ में तब्दील हो जाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रूसी सेना अपनी सैन्य रणनीति में बदलाव करेगी। मौसम के इस बदलाव का यूक्रेन जंग पर क्या होगा प्रभाव।
1- फरवरी में शुरू हुए यूक्रेन जंग के नौ महीने हो रहे हैं। अभी रूस और यूक्रेन के बीच यह युद्ध जारी है। सर्दियां शुरू होने वाली है, ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या इसका असर रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी पड़ेगा। रूसी सेना इस बात को जानती है कि यूक्रेन में कितनी ठंड पड़ती है। अगर यूक्रेन के मौसम पर नजर डाले तो दिसंबर से मार्च तक यूक्रेन का औसत तापमान – 4.8 डिग्री सेल्सियस से दो डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है।
2- यूक्रेन में दिसंबर से फरवरी के मध्य तक बर्फबारी होती है। शायद यही कारण है कि रूसी सेना ने फरवरी में यूक्रेन के खिलाफ मोर्चा खोला था। यूक्रेन के दक्षिणी हिस्से में और काला सागर के तटीय इलाकों में कम ठंड पड़ती है। इसलिए यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि रूसी सेना इस ठंड में अपनी सैन्य रणनीति में बदलाव कर सकती है। ठंड के मौसम में रूसी सेना यूक्रेन के दक्षिण हिस्से पर एक नया मोर्चा खोल सकती है।
3- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि सर्दी का मौसम यूक्रेनी और रूसी दोनों सैनिकों को दिक्कत पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि सर्दी के चलते जंग में लड़ रहे सैनिकों को खाद्य सामग्री भेजने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि यह चुनौती किसी एक सेना के पास होगी, बल्कि रूस और यूक्रेन दोनों को इस समस्या से जूझना होगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में बर्फबारी यूक्रेनी सेना की गति को रोक सकती है। इससे यूक्रेनी सेना को नुकसान हो सकता है। अक्टूबर में भारी बारिश के चलते खेरसान में यूक्रेन का अभियान पहले से प्रभावित हुआ है।
4- प्रो पंत ने कहा कि रूसी सेना चाहेगी कि यूक्रेन में सर्दी का प्रकोप कम हो, लेकिन यूक्रेनी सेना की इच्छा होगी कि जंग के मैदान बर्फ से जम जाए और वह रूसी सैन्यबलों को पछाड़ सके। प्रो पंत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि रूसी और यूक्रेनी सेना को सर्दियों में जंग लड़ने का अच्छा अभ्यास है। दोनों सेनाओं के उपकरण और हथियार इसी लिहाज से डिजाइन किए गए हैं। ऐसे में यह उम्मीद कम ही है कि इस जंग में ठंड का असर बहुत ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेनी इलाकों में बहुत बर्फबारी शुरू होती है, तभी इसका असर जंग पर पड़ेगा।
5- प्रो पंत ने कहा कि यह भी उम्मीद है कि सर्दियों के मौसम में रूसी सेना अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। वह जमीनी लड़ाई के बजाए हथियारों से लड़ने पर जोर देगी। इसमें तोपों से बमबारी और ड्रोन हमले शामिल है। सर्दी के मौसम में ड्रोन हमले बढ़ सकते है। ऐसे में रूस और यूक्रेन दोनों के सैन्यबल ड्रोन पर बहुत हद तक निर्भर होंगे। रूसी सेना इन हमलों के जरिए यूक्रेन के सप्लाई डिपो और ऊर्जा संयंत्रों को निशाना बना सकती है। रूसी सेना की नजर यूक्रेन के संसाधनों पर है।
6- यह आशंका जताई जा रही है कि इन सर्दियों में रूसी सेना यूक्रेन के नागरिकों को निशाना बना सकती है। उन्होंने कहा कि रूस पहले से यूक्रेनी नागरिक ठिकानों एवं संसाधनों को निशाना बना चुका है। रूसी सेना ने यूक्रेन की जल आपूर्ति और ऊर्जा संयंत्रों को निशाना बनाया है। इसलिए यह आशंका प्रबल है कि रूसी सेना सर्दियों में भी इस तरह के हमले जारी रख सकती है। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब से यूक्रेन में रूसी सैन्य बलों के नए कमांडर का बदलाव किया है, तब से हमले और ज्यादा आक्रामक हुए हैं। इसलिए यह आशंका बढ़ गई है कि रूसी सेना यूक्रेन में और तबाही मचा सकती है। इसका मकसद यूक्रेन के लोगों के हौसले को तोड़ना होगा।