यूपी में भीषण गर्मी और उमस के बीच कंजक्टिवाइटिस के मरीज बढ़ रहे हैं। पिछले 15 दिनों में 40-50 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। कंजक्टिवाइटिस के लक्षण दिखने पर बच्चों को स्कूल न भेजें। साथ ही लोगों को कार्यालय भी जाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इससे अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
लखनऊ, मानसून सीजन में डेंगू और फ्लू ही नहीं, आंखों में संक्रमण के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। लखनऊ समेत प्रदेशभर में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों में तेजी से इजाफा देखा जा रहा है। यह संक्रामक बीमारी है। इससे बचाव के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। पिछले 15 दिनों में कंजक्टिवाइटिस के 40-50 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। कंजक्टिवाइटिस की संख्या बढ़ने के पीछे बदला मौसम प्रमुख वजह है। गर्मी और उमस के चलते वायरस में म्यूटेशन की संभावना भी होती है। आमतौर पर कंजक्टिवाइटिस जैसे संक्रमण को ठीक होने में एक-दो सप्ताह लगते हैं। हालांकि, इस बार लोगों को ज्यादा एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ रही है। इस बीमारी में खुद से कोई ड्राप या दवा न लें। चिकित्सक की सलाह पर ही इलाज कराएं। यह कहना है लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में नेत्र रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रोलिमा ठक्कर का। फ्लू के लक्षण होने पर खुद को करें आइसोलेट डा. प्रोलिमा ठक्कर की सलाह है कि कंजक्टिवाइटिस के लक्षण दिखने पर बच्चों को स्कूल न भेजें। साथ ही लोगों को कार्यालय भी जाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इससे अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
कंजक्टिवाइटिस के मरीजों को 3-5 दिनों के लिए आइसोलेट होने की सलाह दी जाती है। इससे मरीजों की संख्या बढ़ने से भी रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, अगर घर का कोई सदस्य इस संक्रमण की चपेट में है तो एक सप्ताह के लिए उसके कपड़े और बर्तन अलग कर देना चाहिए। कंजक्टिवाइटिस के लक्षण और बचाव क्या हैं? डा. प्रोलिमा के मुताबिक, कंजक्टिवाइटिस का सबसे आम लक्षण आंखों का लाल होना है। इसके अलावा आंखों में खुजली, जलन और अधिक पानी बहने की समस्या भी होती है।
मरीज फोटो-सेंसिटिव हो सकते हैं यानी उन्हें तेज रोशनी से परेशानी हो होती है। इसलिए मरीजों को काला चश्मा पहनने की सलाह दी जाती है। वायरस संपर्क या तरल के जरिए फैलता है। इसलिए सफाई का विशेष ध्यान रखें। आंखों को कम से कम छुएं और अगर आसपास कोई मरीज है तो उससे दूरी बनाएं। क्या कंजक्टिवाइटिस मरीज को देखने से होता है संक्रमण? डा. प्रोलिमा ने बताया, लोगों में एक भ्रम यह भी है कि कंजक्टिवाइटिस संक्रामक है, जो देखने से हो जाता है। लेकिन,ऐसा नहीं है। किसी ऐसे व्यक्ति को देखने से नहीं फैलता है जिसे यह है।
यह मुख्यतः संपर्क से फैलता है। आपको केवल संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से यह बीमारी होने का खतरा होता है। कंजक्टिवाइटिस का इलाज कैसे होता है? डा. प्रोलिमा का कहना है कि कंजक्टिवाइटिस के ज्यादातर मामलों में आई ड्राप और एंटीबायोटिक से इलाज किया जाता है। गंभीर समस्या होने पर हल्का स्टोरायड दिया जाता है। सही इलाज किया जाए तो इसे एक सप्ताह के भीतर ठीक किया जा सकता है। डा. ठक्कर ने यह भी सलाह दी है कि जो लोग कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करते हैं उन्हें अपनी आंखों की पलकों को बार-बार झपकाना चाहिए, इससे पानी की कमी नहीं होती है और आंखें स्वस्थ रहती हैं।
कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
एक या दोनों आंखों का लाल या गुलाबी दिखाई देना
एक या दोनों आंखों में जलन और खुजली होना
आसामान्य रूप से आंसू निकलना
आंखों से पानी जैसा या गाढ़ा डिस्चार्ज निकलना
आंखों में किरकिरी महसूस होना और सूजन आना
इन बातों का रखें ध्यान
कान्टेक्ट लेंस का इस्तेमाल करने से बचें
रुमाल, तौलिया आदि को शेयर ना करें, टिशू पेपर का इस्तेमाल बेहतर है
कंजक्टिवाइटिस पीड़ित मरीजों से दूरी बनाकर रखें
अगर घर में कोई संक्रमित है तो उसे आइसोलेट करें
संक्रमित व्यक्ति स्वीमिंग कतई न करें -हर दो घंटे में हाथ धोएं या सैनिटाइज करें
धूल, केमिकल और तेज धूप से बचें
आंखों पर काला चश्मा लगाएं
भीड़भाड़ वाली जगह पर जाने से बचें