यूपी में 9 मेडिकल कालेजों का लोकार्पण कर स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में मील का पत्थर तो गाड़ा ही है राज्य सरकार ने उनके नामकरण से भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। मेडिकल कालेजों के नाम महान विभूतियों के साथ हमारी आस्था और संस्कृति से जोड़े गए हैं।
लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में नौ मेडिकल कालेजों का लोकार्पण कर स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में मील का पत्थर तो गाड़ा ही है, राज्य सरकार ने उनके नामकरण के जरिये भी बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। इन मेडिकल कालेजों के नाम महान विभूतियों के साथ हमारी आस्था और संस्कृति से जोड़े गए हैं।
प्रदेश में पहली बार किसी मेडिकल कालेज का नाम हमारी धार्मिक पहचान से जोड़कर सरकार ने जहां सनातन संस्कृति के प्रति अपनी निष्ठा को विस्तार दिया, वहीं महर्षि विश्वामित्र और देवरहा बाबा के नाम कालेज कर ऋषियों के प्रति भी श्रद्धा प्रदर्शित की है। आजादी के लिए संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति देने वाले तीन शहीदों के नाम से आजादी के अमृत महोत्सव की भावना को विस्तार दिया तो संघ के प्रतिबद्ध नेताओं को सम्मान देकर उनके प्रति अपनी भावनाओं को स्थान दिया।
गाजीपुर: महर्षि विश्वामित्र मेडिकल कालेज
नौ मेडिकल कालेजों में एक गाजीपुर का महर्षि विश्वामित्र के नाम पर है। बहुत कम लोग जानते हैं कि इस जिले से ठीक सटे बिहार का बक्सर जनपद महर्षि विश्वामित्र की तपस्थली है।
विश्वामित्र के नाम से आसपास के क्षेत्र के सनातन धर्मावलंबी कोर वोटरों की भावनाओं को भी जोडऩे का प्रयास है। वैसे पौराणिक आख्यानों में गाजीपुर को भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ऋषि की तपोस्थली माना जाता है।
देवरिया: महर्षि देवरहा बाबा राजकीय स्वशासी मेडिकल कालेज
देवरिया के मेडिकल कालेज का नाम महर्षि देवरहा बाबा के नाम पर होने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके लोकार्पण करने के भी कई निहितार्थ हैं। देवरहा बाबा के प्रति देवरिया ही नहीं बल्कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और उसके बाहर भी लोगों की आस्था है। लेकिन जिला ही नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश का दुर्भाग्य था कि उनके नाम पर कोई भी बड़ी संस्थान नहीं है। जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर मईल गांव में देवरहा बाबा का आश्रम है।
वहां आज भी श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, प्रधानमंत्रियों में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव और कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता बाबा का आशीर्वाद लेने यहां आ चुके हैं। जनसेवा और गोसेवा को सर्वोपरि मानने वाले बाबा लोगों को इसकी प्रेरणा देते थे। उन्होंने सरयू तट पर बांस के मचान पर डेरा बनाया था।
मीरजापुर: विंध्यवासिनी मेडिकल कालेज
मीरजापुर मंडल को विंध्य मंडल का नाम देकर सरकार ने पहले ही आस्थावानों का मन जीत लिया था। कारिडोर के बाद मां के नाम पर अब मेडिकल कालेज के नामकरण ने इस भाव को और पुख्ता ही किया है।
विंध्यवासिनी मंदिर के प्रति लोगों की अगाध आस्था है और हर नवरात्र में यहां लाखों लोग दर्शन को आते हैं। सरकार ने मेडिकल कालेज को विंध्यवासिनी नाम देकर ऐसे ही आस्थावानों की भावनाओं को सम्मान दिया है।
फतेहपुर: अमर शहीद जोधा सिंह व ठाकुर दरियांव सिंह मेडिकल कालेज
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत जोधा सिंह अटैया व ठा. दरियाव सिंह के नाम फतेहपुर का मेडिकल कालेज एक तरह से आजादी के अमृत महोत्सव में फतेहपुर को सरकार का उपहार है। फतेहपुर शहर मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर खजुहा ब्लाक के रसूलपुर निवासी जोधा सिंह अटैया ने महज बीस साल की उम्र में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठा लिया। 28 अप्रैल 1858 को अंग्रेज कर्नल क्रस्टाइल की घुडसवार सेना ने जोधा सिंह व उनके 51 साथियों को बंदी बना लिया और सभी को पारादान में एक इमली के पेड़ में फांसी पर लटका दिया। तभी से इस इमली के पेड़ को बावनी इमली के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजों के खौफ के चलते सभी शहीदों के शव पेड़ पर ही महीनों लटके रहे। मई 1858 में पहुर गांव के महराज सिंह ने शवों का उतार कर शिवराजपुर गंगा घाट में अंतिम संस्कार किया।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में ही खागा तहसील का नेतृत्व कर रहे ठा. दरियाव सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ पूरी फौज तैयार की थी। खागा व फतेहपुर के राज्यकोष पर कब्जा कर अंग्रेजों को इलाहाबाद प्रयागराज जाने को विवश कर दिया। जिले में 32 दिन तक स्वतंत्र सरकार की सत्ता बनाए रखी। सिंगरौर क्षत्रिय वंश दरियाव सिंह को अंग्रेजी हुकूमत ने 6 मार्च 1858 को छह साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया था और इनका ताल्लुका जब्त कर नीलाम कर दिया था।
एटा: वीरांगना अवंती बाई लोधी मेडिकल कालेज
मेडिकल कालेज स्वीकृत होने के साथ ही इसका नामकरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने की मांग उठने लगी थी। बाद में वीरांगना अवंती बाई मेडिकल कालेज कर दिया गया। लोध बाहुल्य होने की वजह से इस नामकरण के पीछे राजनीतिक निहितार्थ माने जा रहे हैं। वीरांगना महारानी अवंतीबाई का जन्म पिछड़े वर्ग के लोधी राजपूत समुदाय में 16 अगस्त 1831 को ग्राम मनकेहणी, जिला सिवनी मध्य प्रदेश के जमींदार राव जुझार सिंह के यहां हुआ था। रानी अवंतीबाई लोधी भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थीं।
1857 की क्रांति में रामगढ़ की रानी अवंती बाई रेवांचल में मुक्ति आंदोलन की सूत्रधार थी। 1857 के मुक्ति आंदोलन में इस राज्य की अहम भूमिका थी। 1817 से 1851 तक रामगढ़ राज्य के शासक लक्ष्मण सिंह थे। उनके निधन के बाद विक्रमाजीत सिंह ने राजगद्दी संभाली। उनका विवाह बाल्यावस्था में ही अवंतीबाई से हो गया था। विक्रमाजीत सिंह बचपन से ही वीतरागी प्रवृत्ति के थे। अत: राज्य संचालन का काम उनकी पत्नी रानी अवंतीबाई ही करती रहीं। भारत में पहली महिला क्रांतिकारी रामगढ़ की रानी अवंतीबाई ने अंग्रेजों के विरुद्ध ऐतिहासिक निर्णायक युद्ध किया। 20 मार्च 1858 को उन्होंने विरोधियों से घिरने पर उन्होंने बलिदान दे दिया।
सिद्धार्थनगर: माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज
सिद्धार्थनगर के बांसी तहसील के तिवारीपुर निवासी माधव प्रसाद त्रिपाठी ने जनसेवा के लिए अपने गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया था। माधव बाबू जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में रहे। वर्ष 1977 में कांग्रेस के काजी जलील अब्बासी को हराकर डुमरियागंज से सांसद चुने गए माधव बाबू पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह, पूर्व मंत्री स्व. धनराज यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र के राजनीतिक गुरु थे। माधव बाबू के नाम पर मेडिकल कालेज के नामकरण ने जहां खांटी कार्यकर्ताओं के मन में सरकार के प्रति कार्यकताओं के सम्मान के भाव से परिचित कराया, वहीं सिद्धार्थनगर की जनता के मनोभावों को समझकर उन्हें पार्टी से जोडऩे की कोशिश की।
वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद माधव प्रसाद उत्तर प्रदेश के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए। 1984 में पार्टी के कार्यक्रम से लौटते हुए लखनऊ में उनकी हृदयाघात से मौत हो गई। वह दो बार विधायक व एक बार सांसद रहे हैं। 1967-68 में माधव बाबू चौधरी चरण सिंह की सरकार में प्रदेश के उद्योग मंत्री थे। इस दौरान उन्होंने भारी बिजली बिल बकाये के चलते डालमिया की फैक्ट्री की बिजली कटवा दी थी। बाद में बिल जमा करने पर ही बिजली बहाल हो सकी थी।
जौनपुर: उमानाथ सिंह मेडिकल कालेज
जौनपुर की बात करें तो पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह के नाम पर बना मेडिकल कालेज, जनसंघ के दौर के नेताओं और कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि स्वरूप है, जिनके परिश्रम ने भाजपा को आज इन ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
साथ ही ठाकुर बहुल इस क्षेत्र में अपने कोर वोटरों को बांधे रखने की कवायद के रूप में भी देखा जा रहा है।
प्रतापगढ़: डाक्टर सोने लाल पटेल मेडिकल कालेज
अपना दल के संस्थापक डा. सोने लाल पटेल के नाम पर प्रतापगढ़ में मेडिकल कालेज से सहयोगी दल की भावनाओं और उनके वोटरों को भी सहेजा गया है। अपना दल के संस्थापक सोनेलाल के नाम पर मेडिकल कालेज से बहुतायत क्षेत्र को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिश भी है।
साथ ही अपना दल परिवार की भीतरी राजनीति तथा भाजपा से संबंधों में आए उतार-चढ़ाव से पड़ी दरारों को मिटाकर एक बड़े समुदाय को अपने पाले में स्थिर रखने का रामबाण भी।