देश में मंकीपाक्स से संक्रमित पहले मारीज की मौत के बाद यूपी में अलर्ट जारी कर दिया गया है। विदेश से लौट रहे लोगों पर नजर रखने के लिए टास्क फोर्स तैनात कर दी गई है। अस्पतालों में मंकीपाक्स से संक्रमित मरीजों के लिए बेड आरक्षित किए गए हैं।
लखनऊ । दुनिया भर में मंकीपाक्स से संक्रमित मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए यूपी ने भी बचाव के लिए कमर कस ली है। संजय गांधी पीजीआइ के निदेशक डा. आरके धीमन की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करेगी। इन्हीं की अध्यक्षता में कोविड टास्क फोर्स भी गठित की गई थी।
मंकीपाक्स से बचाव के लिए भी यह टास्क फोर्स काम करेगी। देश में केरल में एक व्यक्ति की मंकीपाक्स से मौत होने और बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा ग्लोबल इमरजेंसी घोषित करने के बाद नए सिरे से गाइडलाइन तैयार करने का काम तेज कर दिया गया है।
अस्पतालों में 10-10 बेड मंकीपाक्स रोगियों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। कुल 2,150 बेड की व्यवस्था की जा चुकी है। मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की मेडिकल टीम 21 दिनों तक निगरानी करेगी। जांच के लिए केजीएमयू में सैंपल भेजे जाने की व्यवस्था की गई है। 80 हजार निगरानी कमेटियों को भी अलर्ट कर दिया गया है। विदेश व दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों की निगरानी की जा रही है।
क्या है मंकीपाक्स?मंकीपाक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था। इस वायरस का पहला मामला 1970 में रिपोर्ट किया गया है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों (tropical rainforest area) में यह रोग में होता है।
मंकीपाक्स वायरस के लक्षण
- बार-बार तेज बुखार आना।
- पीठ और मांसपेशियों में दर्द।
- त्वचा पर दानें और चकते पड़ना।
- खुजली की समस्या होना।
- शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना।
- मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है।
- संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है।
- चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना।
- गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।
कैसे फैलता है मंकीपाक्स वायरस
- मंकीपाक्स (monkeypox virus) एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए।
- संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए।
- मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
- यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।
क्या है मंकीपाक्स का इलाज: मंकीपाक्स (monkeypox virus) का कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। मंकीपाक्स को यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इसे कम जोखिम वाला वायरस बताया है।