समाजवादी पार्टी मिशन 2022 के लिए क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साधने के साथ ही कई मोर्चों पर सक्रिय हुई है। पार्टी लोगों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने को गीत-संगीत के तीर भी चलाएगी। इसके लिए जनता की समस्याओं को केंद्र में रखकर गीत बनवाए गए हैं।
लखनऊ,, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी मिशन 2022 के लिए क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साधने के साथ ही कई मोर्चों पर सक्रिय हुई है। पार्टी लोगों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने को गीत-संगीत के तीर भी चलाएगी। इसके लिए जनता की समस्याओं को केंद्र में रखकर गीत बनवाए गए हैं।
पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों को गीत के रूप में समाजवादी पार्टी ने यूं पेश किया है- ‘भाजपा ने महंगाई का दे दिया ऐसा घाव है, पेट्रोल का नया भाव 25 रुपया पाव है…।’ इसी तरह ‘खा गइले सब राशन, पी गइले सब तेल, देखो-देखो रे भइया बीजेपी का खेल…।’ पूर्व की अपनी सरकार का स्तुतिगान करते हुए कोरोना के दौरान अव्यवस्था पर कटाक्ष है-‘सपा का बनावल हास्पिटल, एंबुलेंस हो…काम महामारी में आवे परमानेंट हो। फिर से यूपी में अखिलेश के लावे के पड़ी, यह भाजपा से देश के बचावे के पड़ी…।’ महंगाई पर ही एक और गाना ‘जब से भाजपा आई है, कमरतोड़ महंगाई है…’ भी सपाइयों की जुबां पर अभी से है।
बंगाल के चुनाव में ‘खेला होबे’ जुमला काफी लोकप्रिय हुआ था। उसी तर्ज पर अब यूपी के चुनाव में भी खेला होबे को गीत का रूप दिया गया है। ‘जुर्म की हद अब पार हो गई, साइकिल का अब रेला होगा। समाजवाद का मेला होगा, यूपी में भी खेला होगा…।’ कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भी बोल तैयार किए गए हैैं- ‘पूरा यूपी अब बोल रहा, मन की बातें जुबां से खोल रहा। ट्विंकल-ट्विंकल लिटिल स्टार, 22 में होगी सपा की सरकार…।’
समाजवादी सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र सोलंकी बताते हैं कि पहले चरण में चार अगस्त से 14 अगस्त के बीच सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के कलाकार प्रदेश की अलग-अलग विधानसभाओं में जाकर जनता के बीच गीत-संगीत के माध्यम से सरकार की विफलताएं उजागर करेंगे।
थीम गीत भी तैयार : समाजवादी पार्टी ने एक थीम सांग भी तैयार कराया है जिसके बोल हैं -‘यूपी के हर कोने से संदेश आ रहे हैं, अखिलेश आ रहे हैं… अखिलेश आ रहे हैं।’ इस गीत में अखिलेश सरकार के समय की उपलब्धियां गिनाई गई हैं। साथ ही इसमें अखिलेश को मुरलीधारी कृष्ण बताया गया है। अखिलेश के महिमामंडन के लिए आल्हा के साथ एक स्लोगन होगा-‘हरे कृष्ण हरे हरे, साइकिल चली घरे-घरे’।