टीले वाली मस्जिद का मामला यूपी विधानसभा में पहुंच चुका है। इस मामले में एक विधायक ने लक्ष्मण टीला अवैध निर्माण ध्वस्त कराने की मांग की है। इस मामले में आज अदालत में सुनवाई भी होनी है। बता दें कि लोगों ने यहां पूजा अर्चना करने की मांग की है।
लखनऊ, राजधानी लखनऊ स्थित लक्ष्मण टीला पर अवैध निर्माण मामला उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंच चुका है। लखनऊ उत्तर से विधायक डा. नीरज बोरा ने इस संबंध में सोमवार को याचिका लगाई। याचिका में विधायक की ओर से अवैध निर्माण ध्वस्त कराने की मांग की गई।
विधानसभा में दाखिल याचिका में कहा है कि गोमती तट के पास लक्ष्मण टीला लखनऊ का उद्गम और नाभि केंद्र है, जिसे त्रेता युग में लक्ष्मण जी ने बसाया था। यह हम सबकी गौरव गरिमा का प्रतीक और करोड़ों श्रद्धालुओं के आराध्य रामानुज लक्ष्मण से जुड़ा है। यह टीला ऐतिहासिक व पैराणिक महत्व का है। किला मच्छी भवन के नाम से राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। कालांतर में किले के ध्वंस अवशेषों से जो टीला बना, वह इतिहास में लक्ष्मण टीला के नाम से दर्ज हुआ।
याचिका में कहा गया है कि यह स्थान पुरातत्व विभाग के केंद्रीय संरक्षित स्मारक के अधीन प्रतिषिद्ध है, जहां कुछ लोगों ने अवैध निर्माण करा दिया है। अवैध निर्माण ध्वस्त करने के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (यथासंशोधित) अधिनियम के तहत ध्वस्तीकरण आदेश भी जारी हो चुके हैं। अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के लिए आवास विभाग समेत शासन-प्रशासन से अनेक बार अनुरोध करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। विधायक की ओर से अवैध निर्माण ध्वस्त कराने की मांग की गई।
लखनऊ में टीले वाली मस्जिद प्रकरण में आज भी होगी सुनवाई : टीले वाली मस्जिद के मामले में निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध दाखिल रिवीजन अर्जी पर मंगलार, 31 मई को भी सुनवाई होगी। सोमवार को सत्र अदालत में इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान वादी व प्रतिवादी पक्ष की बहस पूरी नहीं हो सकी। एडीजे कल्पना ने शेष बहस के लिए मंगलवार सुबह 11 बजे का समय नियत किया है।
वर्ष 2013 में निचली अदालत में दाखिल इस वाद में मस्जिद को हटाकर इसका कब्जा हिंदुओं को देने की मांग की गई है। कहा गया है कि यह पूरा परिसर शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव का स्थान है। लिहाजा इस पर हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए व उनके दर्शन में बाधा डालने वालों को रोका जाए।
25 सितंबर, 2017 को निचली अदालत ने इस वाद के खिलाफ प्रतिवादी की ओर से दाखिल आपत्ति को खारिज कर दिया था। निचली अदालत के इस आदेश को रिवीजन अर्जी में चुनौती दी गई है। यह वाद लार्ड शेषनागेस्ट टीलेश्वर महादेव विराजमान, लक्ष्मण टीला शेषनाग तीरथ भूमि, डॉ. वीके श्रीवास्तव, रामरतन मौर्य, वेदप्रकाश त्रिवेदी, चंचल सिंह, दिलीप साहू, स्वतंत्र कुमार त्रिपाठी व धनवीर सिंह की ओर से दाखिल किया गया था।
इसमें यूनियन आफ इंडिया जरिए सचिव गृह मंत्रालय, आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया की लखनऊ सर्किल, स्टेट आफ यूपी जरिए प्रमुख सचिव गृह, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस महानिदेशक उप्र, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ, पुलिस अधीक्षक पश्चिम लखनऊ, इंसपेक्टर चौक व सुन्नी सेंट्रल बोर्ड आफ वक्फ जरिए चीफ एग्जीक्यूटिव आफीसर के साथ ही मौलाना फजुर्लरहमान को पक्षकार बनाया गया है।
18 जुलाई, 2017 को अदालत ने मौलाना फजुर्लरहमान की मौत के बाद उनके विधिक उत्तराधिकारी मौलाना फजलुल मन्नान को प्रतिवादी प्रतिस्थापित करने का आदेश दिया था। निचली अदालत में प्रतिवादी की ओर से इस वाद को खारिज करने की मांग की गई थी। अब निचली अदालत में मूल वाद पर सुनवाई 30 जुलाई को नियत है।