मानवाधिकार दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मानवाधिकारों की अवधारणा समाज को प्रत्येक मनुष्य को हमसे अलग ना मानने पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है। हमें सभी प्राणियों और उनके आवास स्थान से सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन दरवाजे पर दस्तक दे रहा है और गरीब देशों के लोग पर्यावरण के क्षरण के लिए ‘भारी कीमत’ चुकाने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज को अब न्याय के पर्यावरणीय आयाम पर भी विचार करना चाहिए। मानवाधिकार दिवस के मौके पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुर्मू ने ये भी अपील की कि मनुष्यों को प्रकृति और जैव विविधता के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करना भी सीखना चाहिए।
‘प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है’राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि, ”हमें प्रकृति से सम्मान के साथ व्यवहार करना सीखना, बल्कि फिर से सीखना होगा। ये ना केवल हमारा नैतिक दायित्व है, बल्कि हमारे अपने अस्तित्व के लिए भी आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि, ”इस साल मानवाधिकार दिवस की थीम ‘सभी के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय’ है। ये भारत के संविधान की प्रस्तावना में व्यक्त आदर्शों के करीब है। राष्ट्रपति ने कहा कि, ”मैंने पहले भी कहा है कि हमें न्याय की धारणा का विस्तार करने का प्रयास करना चाहिए। पिछले कुछ वर्ष में दुनिया को असामान्य मौसम प्रवृत्तियों के कारण कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है।”