कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। लखनऊ के वकील अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मांग की है कि लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना रद्द की जाए। याचिका में कहा गया है कि आपराधिक केस में दोषी जब तक बरी न हो जाए तब तक उसकी सदस्यता बहाल नहीं होती।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। लखनऊ के वकील अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए मांग की है कि लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना रद्द की जाए। शीर्ष अदालत में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि आपराधिक केस में दोषी जब तक बरी न हो जाए, तब तक उसकी सदस्यता बहाल नहीं हो सकती है।
जनहित याचिका में दी गई दलील
शीर्ष अदालत में वकील अशोक पांडे ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए कहा कि एक बार आपराधिक मानहानी मामले में दोषी पाए जाने और 2 साल की सजा होने के बाद राहुल गांधी ने अपनी सदस्यता खो दी थी और इसके बाद उनकी सदस्यता बहाल करना गलत है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि वह लोकसभा अधिसूचना को रद्द कर दें।
7 अगस्त को बहाल हुई सदस्यता
गौरतलब है कि ‘मोदी सरनेम’ वाले मामले में राहुल गांधी की दोषसिद्धि को निलंबित कर दिया गया था और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 7 अगस्त को राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी गई थी।
मोदी सरनेम को लेकर हुआ था बवाल
राहुल गांधी को इस साल मार्च में एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था। दरअसल, सूरत की एक अदालत ने उन्हें अप्रैल, 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली के दौरान की गई उनकी टिप्पणी ‘सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है’ के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। इस टिप्पणी के जरिए राहुल गांधी की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी और ललित मोदी के बीच संबंध बनाने की कोशिश की थी।