रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड (आरबीएल) खिलौना बाजार पर अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए ईटली की “प्लास्टिक लेग्नो एसपीए” के भारतीय खिलौना निर्माण व्यवसाय में 40% हिस्सेदारी ले रही है। इसके लिए दोनों कंपनियों की ओर से संयुक्त उद्यम व्यवस्था पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड (आरबीएल) खिलौना बाजार पर अपनी पकड़ बढ़ाने के लिए ईटली की “प्लास्टिक लेग्नो एसपीए” के भारतीय खिलौना निर्माण व्यवसाय में 40% हिस्सेदारी ले रही है। इसके लिए दोनों कंपनियों की ओर से संयुक्त उद्यम व्यवस्था पर हस्ताक्षर कर दिए गए हैं। रिलायंस ब्रांड्स के इस निवेश से कंपनी का खिलौना व्यवसाय और मजबूत हो जाएगा।
गौरतलब है कि आरबीएल, रिलायंस रिटेल वेंचर्स के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। मौजूदा समय में भी आरबीएल की खिलौना उद्योग में काफी मजबूत पैठ है। इसके पोर्टफोलियो में हैमलीज और घरेलू खिलौना ब्रांड- रोवन शामिल हैं। हैमलीज 15 देशों में फैली है और इन देशों में इसके वर्तमान में 213 स्टोर्स हैं। भारत में यह खिलौनों के स्टोर्स की सबसे बड़ी चेन है।
रिलायंस ब्रांड्स लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा कि यह प्रधानमंत्री के आत्मानिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। प्रवक्ता ने कहा कि विश्व स्तरीय खिलौना निर्माण में प्लास्टिक लेग्नो को गहरे अनुभव के साथ, वैश्विक खिलौना खुदरा उद्योग में हमारे मजबूत पैर जमाने से भारत में निर्मित खिलौनों के लिए नए दरवाजे और अद्वितीय अवसर खुलेंगे।
उन्होंने कहा कि इससे न केवल घरेलू खपत के लिए बल्कि वैश्विक बाजारों के लिए देश में एक मजबूत खिलौना निर्माण का इको सिस्टम तैयार होगा। बता दें कि प्लास्टिक लेग्नो एसपीए का स्वामित्व सनिनो समूह के पास है। इसके पास यूरोप में खिलौना उत्पादन का 25 सालों से ज्यादा का अनुभव है। इस समूह ने बढ़ते भारतीय खिलौना बाजार में पैठ बनाने के लिए 2009 में देश में व्यवसाय शुरू किया था।
सुनीनो ग्रुप के सह-मालिक पाओलो सुनिनो ने कहा, “हम इस संयुक्त उद्यम में भागीदार के रूप में आरबीएल को पाकर बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। हमें विश्वास है कि खिलौनों के उत्पादन में प्लास्टिक लेग्नो का अनुभव और हैमलीज की व्यावसायिक पहुंच, संयुक्त उद्यम कंपनी को अधिक से अधिक ऊंचाइयों और सफलताओं को प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए एक दूसरे के पूरक होंगे।”
पाओलो सुनिनो ने कहा, “हमारे पास भारत के लिए महत्वपूर्ण विकास योजनाएं हैं। हम भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार हैं, लेकिन जब आरबीएल जैसा समूह साथ होता है, तो हमें यकीन होता है कि हम साथ मिलकर कुछ बड़ा कर सकते हैं।”