विदेश मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेट्री रहे केएम लाल का मानना है कि रूस के आगे सरेंडर करने के अलावा यूक्रेन के पास कोई चारा नहीं है। यूक्रेन यह बात भलीभांति समझ भी चुका है। ऐसा भी हो सकता है यूक्रेन के राष्ट्रपति देश छोड़कर कहीं फरार न हो जाएं।
गुरुग्राम ; विदेश मंत्रालय में अपर सचिव (एडिशनल सेक्रेट्री) रहे सेवानिवृत्त वरिष्ठ आइएएस केएम लाल का मानना है कि रूस के आगे सरेंडर करने के अलावा यूक्रेन के पास कोई चारा नहीं है। यूक्रेन यह बात भलीभांति समझ भी चुका है। ऐसा भी हो सकता है यूक्रेन के राष्ट्रपति देश छोड़कर कहीं फरार न हो जाएं क्योंकि नाटो की तरफ से उनकी उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं। देश के भीतर ही उन्हें अपने लोगों का पूरा समर्थन हासिल नहीं क्योंकि लगभग आधी आबादी रूस मूल की है।
रूस-यूक्रेन विवाद पर दैनिक जागरण से बातचीत में केएम लाल ने कहा कि सोवियत संघ के विघटन के बाद भी रूस की ताकत में बहुत अधिक कमी नहीं आई है। वह आज भी अपने आपको सुपर पावर मानता है। वह नहीं चाहता कि नाटो उसके दरवाजे तक आ जाए। यूक्रेन का नाटो का सदस्य बनना चाहता है। नाटाे का सदस्य बनने के बाद यूक्रेन धीरे-धीरे सामरिक रूप से मजबूत हो जाएगा। सामरिक रूप से यूक्रेन की मजबूती रूस को मंजूर नहीं। यही वजह है कि यूक्रेन के ऊपर रूस ने हमला बोला है। आज यूक्रेन यह कह दे कि वह नाटो का सदस्य नहीं बनेगा, रूस हमला रोक देगा। ऐसा उसे कहना ही पड़ेगा।
इसके अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है क्योंकि दुनिया का कोई भी देश रूस के खिलाफ सामने से उसका साथ देने वाला नहीं। आज की स्थिति में कोई भी देश अपना आर्थिक नुकसान नहीं करना चाहता है। वह भी दूसरे देश के लिए। यही वजह है कि नाटो में शामिल देश आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कर रहे हैं लेकिन सैन्य सहायता उपलब्ध कराने का भरोसा यूक्रेन को नहीं दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि किसी भी देश को अपने बूते ही लड़ाई लड़नी होती है।
कोई किसी के लिए क्यों दुश्मनी मोल लेगा। आज दुनिया के अधिकतर देश किसी न किसी चीज को लेकर एक-दूसरे के ऊपर निर्भर हैं। संबंध खराब होने का सबसे अधिक असर कारोबार के ऊपर पड़ता है। इससे किसी भी देश का विकास वर्षों पीछे चला जाता है। यही नहीं कई देशों के पास परमाणु हथियार हैं। यदि किसी एक ने भी प्रयोग कर दिया फिर स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इन सभी विषयों को ध्यान में रखकर नाटो से संबंधित देश या अन्य देश रूस-यूक्रेन विवाद को अपना निर्णय लेंगे। वैसे रूस यूक्रेन को पूरी तरह बर्बाद नहीं करेगा। वह इतना ही नुकसान पहुंचाएगा जिससे कि यूक्रेन सरेेंडर कर दे।