लखनऊ जू में 15 साल से रह रहे नर चिपांजी जैसन का निधन, पार्टनर निकिता हुई गुमसुम

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में मंगलवार को बीमार हुए नर चिपांजी का रात में ग्‍यारह बजे के करीब निधन हो गया। चिकित्‍सकों ने निधन का कारण उम्र के साथ-साथ शरीर के विभिन्‍न अंगों में असामान्‍य क्षति भी पाई गई बताया है।

 

लखनऊ,  नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में मंगलवार को बीमार हुए नर चिपांजी का रात में ग्‍यारह बजे के करीब निधन हो गया। चिकित्‍सकों ने निधन का कारण उम्र के साथ-साथ शरीर के विभिन्‍न अंगों में असामान्‍य क्षति भी पाई गई बताया है। प्राणि उद्यान के अधिकारी व कर्मचारी जैसन के चल जाने से काफी दुखी व शोकाकुल हैं। आज सुबह अधिकारी व कर्मचारियों ने जैसन चिपांजी को अंतिम विदाई दी। साथ ही पुष्‍प व माला अर्पित कर श्रद्धांजलि भी दी। जैसन के चले जाने से पार्टनर निकिता भी गुमसुम हो गई है।

 

बता दें, पिछले 15 साल से लखनऊ चिड़ियाघर में अपनी साथी निकिता के साथ शरारत करने वाला चिपांजी जेसन अचानक से बीमार हो गया था। जेसन के बीमार होते ही चिड़ियाघर प्रशासन ने बरेली स्थित आइवीआरआइ के विशेषज्ञ डाक्टरों को लखनऊ चिड़ियाघर बुलाया था। हालांकि टीम के आने से पहले ही जू के चिकित्‍सक उसका इलाज कर रहे थे। लेकिन इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। उसकी जांच के सैंपल बरेली के आइवीआरआइ भेजी गई है। रिपोर्ट आने के बाद ही साफ होगा कि किस वजह से उसकी जान गई है। जू के चिकित्‍सकों ने बताया कि उम्र अधिक होने की वजह से उसकी मृत्‍यु हुई है।

15 साल पहले अपनी पार्टनर निकिता के साथ आया था जू : बता दें जेसन का जन्म मार्च 1992 में स्वीडन में हुआ है। जबकि उसकी साथी निकिता का जन्म भी फरवरी 1992 में स्वीडन में ही हुआ था। दोनों तब से एक साथ रह रहे हैं। स्वीडन से कुछ सालों बाद निकिता व जेसन को मैसूर चिड़ियाघर लाया गया था। लखनऊ चिड़ियाघर में चिपांजी लाने के लिए यहां से मादा जिराफ खुशी को मैसूर भेजा गया था। इसके बदले मैसूर से निकिता व जैसन 15 साल पहले बाई रोड लखनऊ लाए गए थे।

जेसन और निकिता एक ही बाड़े में रहे लेकिन कभी करीब नहीं आ सके। इस कारण चिपांजी का कुनबा बढ़ाने की चिड़ियाघर प्रशासन की उम्मीदें परवान नहीं चढ़ सकी। दिसंबर 2012 में निकिता के लिए दूसरे साथी की तलाश शुरू हुई। कानपुर चिड़ियाघर के चिपांजी छज्जू को लखनऊ लाने की तैयारी अंतिम समय में रोक दी गई। वर्ष 2014 में जेसन को निकिता से अलग करने के आदेश दिए गए।

निकिता को कानपुर ले जाने के आदेश के विरोध में सांसद मेनका गांधी ने पत्र लिखा था। जिसके बाद जेसन और निकिता का रिश्ता टूटने से बच गया था। जेसन के नाम से चिड़ियाघर प्रशासन ने एक फेसबुक पेज भी बनाया था। जिस पर उसके हजारों प्रशंसक भी जुड़े थे। वर्ष 2015 में जेसन एक पेड़ की डाल टूटने पर अपने बाड़े से बाहर निकल आया था। जिसे चिड़ियाघर के कर्मचारियों की मदद से दोबारा पकड़ा जा सका।

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