नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी जारी है। कर्मचारियों की आपूर्ति का ठेका लेने वाले ठेकेदार समय से मानदेय का भुगतान नहीं कर रहे। कर्मचारियों के सामने भुखमरी आ गई है। दीपावली होने के बाद भी मानदेय न मिलने से नाराज नगर निगम के संविदा चालकों ने काम बंद दिया।
लखनऊ । नगर निगम में ठेकेदारों की मनमानी जारी है। कर्मचारियों की आपूर्ति का ठेका लेने वाले ठेकेदार समय से मानदेय का भुगतान तक नहीं कर रहे हैं और इस कारण कर्मचारियों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है। दीपावली होने के बाद भी मानदेय न मिलने से नाराज नगर निगम के संविदा चालकों ने काम बंद दिया। मानदेय दिए जाने का आश्वासन मिलने के बाद ही संविदा चालक काम पर लौटे। इन चालकों को छह माह से मानदेय नहीं दिया जा रहा है। जबकि वे सुबह से लेकर रात तक ड्यूटी करते हैं। अफसरों के वाहनों पर भी यही चालक तैनात किए गए हैं, लेकिन अफसरों को भी अपने चालकों का दर्द नहीं दिखा।
यह एक मामला हो सकता है लेकिन नगर निगम में सफाई कर्मियों को मानदेय देने में भी ठेकेदार मनमानी करते हैं। एक तो उन्हें पूरा मानदेय नहीं दिया जाता है तो दूसरी तरफ समय पर भी मानदेय नहीं दिया जाता है। वैसे तो सफाई कर्मचारियों का प्रतिदिन का मानदेय 308 रुपये लेकिन ठेकेदार सात हजार प्रतिमाह के हिसाब से मानदेय देता है। इसकी जानकारी भी सफाई कर्मचारी अधिकारियों को देते रहते हैं, लेकिन ठेकेदारों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग सका।
140 करोड़ रुपये सिर्फ सफाई का ही ठेका है लेकिन न तो शहर की सफाई हो रही है और नाही जो कर्मचारी तैनात किए गए हैं, उन्हें न तो समय पर और नाही पूरा मानदेय दिया जा रहा है। प्रभावशाली ठेकेदारों के आगे प्रशासन भी मौन है। मार्ग प्रकाश में तैनात संविदा कर्मचारियों को एक तो पूरा मानदेय नहीं दिया जा रहा है तो दूसरा उनका पीएफ भी ठेकेदार जमा नहीं कर रहा है, जबकि मानदेय से पीएफ की रकम काटी जा रही है, यह रकम किसकी-किसकी जेब में जा रही है, कोई बताने वाला नहीं है।