लखनऊ पुलिस ने पकड़ा विश्व का दूसरा सबसे महंगा रेडियोएक्टिव पदार्थ कैलि‍फोर्नियम, प्योर निकला तो अरबों में होगी कीमत,

लखनऊ की गाजीपुर पुलिस ने विश्व की दूसरी सबसे महंगे रेडियोएक्टिव तत्व कैलि‍फोर्नियम के साथ आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। 340 ग्राम की हुई बरामदगी शुद्धता के परीक्षण को भेजी जाएगी आइआइटी कानपुर। गाजीपुर पुलिस ने गिरोह को पकड़ा।

 

लखनऊ, गाजीपुर पुलिस ने गुरुवार तड़के दुनियां की दूसरी नंबर की सबसे महंगा रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम के साथ आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस टीम ने उनके पास से 340 ग्राम संदिग्ध कैलिफोर्नियम धातु बरामद की है। पुलिस ने धातु को कब्जे में ले लिया है। पदार्थ की शुद्धता का परीक्षण कराने के लिए इसके आइआइटी कानपुर भेजा जाएगा। अगर यह शुद्ध हुआ तो एक ग्राम कैलिफोर्नियम की कीतम करीब 27 लाख डालर प्रति ग्राम (करीब 19 करोड़ रुपये) होती है। इसकी बिक्री मिली ग्राम में होती है। यह प्राकृतिक पदार्थ नहीं है। लैब में मानव निर्मित पदार्थ है। इसका प्रयोग कैंसर के इलाज, एटॉमिक एनर्जी और अन्य कार्यों में प्रयोग किया जाता है।

पालीटेक्निक चौराहे के पास से पुलिस टीम ने दबोचा

एडीसीपी उत्तरी प्राची सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का सरगना अभिषेक चक्रवर्ती निवासी कानपुर रोड एलडीए कालोनी कृष्णानगर, महेश कुमार निवासी नेवादा न्यू एरिया बिहार, रविशंकर निवासी शाहजहांपुर पटना बिहार, अमित कुमार सिंह मानसनगर कृष्णानगर, शीतल गुप्ता उर्फ राज गुप्ता गुलजार नगर बाजारखाला, हरीश चौधरी लौकिहवा बस्ती, रमेश तिवारी निवासी कठौतिया सांवडी पैकुलिया बस्ती और श्याम सुंदर गांधीनगर बस्ती है। इन्हें पालीटेक्निक चौराहे के पास से मुखबिर की सूचना पर इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा, दारोगा कमलेश राय व उनकी टीम ने पकड़ा है। इनके पास से कैलिफोर्नियम पदार्थ के अलावा, 10 हजार रुपये, एक कार वैगनआर, स्कूटी और बाइक बरामद की गई है। पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि यह कैलिफोर्नियम पदार्थ है। इसके बाद इसकी पड़ताल शुरू की गई। कई वैज्ञानिकों को दिखाया गया पर वह कुछ सही बात बता नहीं सके। अधिकारियों को जानकारी देने के बाद परीक्षण के लिए इसके आइआइटी कानपुर भेजा जा रहा है। एडीसीपी ने बताया कि गिरोह से जुड़े अन्य लोगों के तार खंगाले जा रहे हैं। इसके साथ ही अभिषेक और महेश के मोबाइल भी जब्त कर लिए गए हैं। उनकी काल डिटेल्स खंगाली जा रही है। किन किन लोगों के यह संपर्क में थे। ऐसा तो नहीं कि इनके संपर्क विदेशों में भी हों। हालांकि फौरी जांच में पता चला है कि यह लोग चोरी का माल बेचने के काम करते थें।

 

गिरोह के सदस्य महेश और रविशंकर लाए थे बिहार से

इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि पूछताछ में पता चला कि महेश और रविशंकर बिहार से इसे लेकर आए थे। वहां कोयले की खदान में काम करने वाले किसी व्यक्ति ने दिया था। उसने भी बताया था कि यह कैलिफोर्नियम पदार्थ है। बहुत महंगा बिकता है। उसकी बिक्री करने के लिए यह दोनों लखनऊ ले आए थे। इसके बाद से ग्राहक तलाश रहे थे।

जनवरी से लेकर शहर में घूम रहे थे कैलिफोर्नियम, एक ग्राहक से रुपये लेकर नहीं दी थी डिलीवरी

इंस्पेक्टर प्रशांत मिश्रा के मुताबिक महेश और रविशंकर ने लखनऊ आकर कैलिफोर्नियम की बिक्री के लिए अभिषेक से संपर्क किया। इसके बाद अभिषेक बीते जनवरी माह से गिरोह के साथ कैलिफोर्नियम लेकर बिक्री के लिए घूम रहा था। जनवरी के आखिरी सप्ताह में अभिषेक ने गोमतीनगर निवासी प्रापर्टी डीलर शशिलेश से संपर्क किया था। शशिलेश से सौदा तय हुआ था। शशिलेश को माल दिखाकर उससे 1.20 लाख रुपये भी ले लिए थे। शुक्रवार तड़के शशिलेश को अभिषेक ने फिर बात करने के लिए पालीटेक्निक चौराहे पर बुलाया था। शशिलेश की सूचना पर वहां पुलिस टीम लगा दी गई थी। इसके बाद पुलिस ने घेराबंदी कर गिरोह को दबोच लिया।

दुनिया का दूसरा सबसे महंगा रेडियोएक्टिव पदार्थ है कैलिफाेर्नियम: कैलिफाेर्नियम  (Californium 252):  कैलिफाेर्नियम  या पैलेडियम भी एक बेहद दुर्लभ रेडियोएक्टिव पदार्थ है। इसे न्यूट्रॉन एंटीमैटर के नाम से भी जाना जाता है और एंटीमैटर की खोज से पहले ये ही दुनिया का सबसे महंगा पदार्थ था। पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि सुपरनोवा के दौरान भी इसकी उत्पत्ति हुई थी हालांकि बाद में ये बात गलत पाई गई। इसके 1 ग्राम की कीमत 1800 करोड़ रुपए है। वहीं एंटीमैटर (Antimatter दुनिया का सबसे महंगा मटेरियल है। हालांकि इसे बनाना बेहद ही मुश्किल है। काफी कोशिश के बावजूद इसके सिर्फ 309 एटम बनाए जा सके हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि ये थंडरस्टॉर्म क्लाउड्स के ऊपरी लेयर में भी पाया जाता है। इसके 1 ग्राम की कीमत 31 लाख 25 हजार करोड़ रुपए है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के जियोलॉजी भाग के प्रोफेसर ध्रुवसेन ने बताया कि एक रेडियो एक्टिव पदार्थ है। यह बहुत सॉफ्ट होता है और इसका मेल्टिंग प्वाइंट भी बहुत ज्यादा होता है इसका प्रयोग न्यूट्रॉन उत्सर्जित कराने के लिए किया जाता है।

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