प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कूड़ा निरस्तारण एक बड़ी समस्या है। हालांकि अब एक नई कंपनी को कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। लखनऊ ही नहीं सूबे के कई शहर इस समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन अब ये कंपनियां कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी निभाएंगी।
लखनऊ । वर्षों पुराना सड़ चुका कूड़ा अब पर्यावरण के लिए खतरा नहीं बनेगा। इससे भूजल दूषित होगा और न ही वायु प्रदूषण फैलेगा। लखनऊ समेत कई शहर इस समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन अब कूड़े के प्रबंधन के लिए कंपनियों का चयन भी हो गया है। योजना में दो नगर निगम झांसी और फिरोजाबाद तथा 11 नगर पालिका परिषद को शामिल किया गया है। लखनऊ के घैला में पहले ही इस पर काम शुरू हो चुका है। इसके लिए चयनित हर शहर में 10 से 15 करोड़ तक का खर्च आएगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसकी निगरानी करेगा।
कैसे उपयोगी होगा सड़ा कूड़ा
- मिट्टी बन चुके कूड़े का उपयोग भराई में किया जाएगा।
- पालीथिन सीमेंट बनाने के काम आएगी, जिसे सीमेंट कंपनी को भेजा जाएगा
- लोहे व अन्य धातु के साथ ही कांच को गलाकर फिर कोई वस्तु तैयार होगी
कहां किसे मिला कामः झांसी नगर निगम, मेसर्स दया चरण एंड कंपनी न्यू दिल्ली और जेबी एन्वायरमेंटल टेको, लागत 17.15 करोड़। फिरोजाबाद नगर निगम, स्पाक सुपर इंफ्रा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, 11.13 करोड़
इन नगर पालिका परिषदों को भी मिली कंपनीः मुजफ्फनगर, मैनपुरी, उन्नाव, हाथरस, बलिया, ललितपुर, इटावा, रायबरेली, फतेहपुर, हटा, हापुड़।