राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रतिदिन औसतन एक हजार चालान होते हैं अब इन चालानों को जमा करने के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है। यह संख्या हर माह करीब तीस हजार और साल में पौने चार लाख के आसपास तक पहुंच जाती है।
लखनऊ । राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रतिदिन औसतन एक हजार चालान होते हैं, अब इन चालानों को जमा करने के लिए लोगों को परेशान होना पड़ता है। यह संख्या हर माह करीब तीस हजार और साल में पौने चार लाख के आसपास तक पहुंच जाती है। ऐसे लोगों को सुविधा देने के लिए नगर विकास विभाग नई व्यवस्था शुरू करने की कोशिश कर रहा है। नई व्यवस्था के तहत अब लोग अपने चालान की फीस राजधानी के 74 ई सुविधा केंद्रों में जल्द ही जमा कर सकेंगे।
ई सुविधा केंद्रों में बिजली बिल के अलावा, खतौनी सहित आधा दर्जन से अधिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। शहर के प्रमुख स्थानों पर यह सुविधा लोगों को मिल रही है। कार्यदायी संस्था मेधज टेक्नो कांसेप्ट प्राइवेट लिमिटेड यह काम शहर के अलावा मध्यांचल के अंतर्गत आने वाले उन्नीस जिलों में पिछले कई सालों से बेहतर तरीके से कर रही है। अब नगर विकास विभाग वाहनों के चालान की जिम्मेदारी भी ई सुविधा केंद्रों को देना चाहता है। उद्देश्य है कि लोग चालान के जुर्माने को जमा करे और उन्हें अपने घर के पास सुविधा उपलब्ध हो सके। कार्यदायी संस्था के अधिकारियों की नगर विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे के साथ इस संबंध में बैठके हो चुकी है। बैठकों में यह सेवा ई सुविधा से एकीकृत करने की पहल भी शुरू हो गई है। इसे आगामी कुछ सप्ताह में शुरू किया जा सकता है। इसके लिए कार्यदायी संस्था अपने कर्मियों को प्रशिक्षित करेगी, जिससे चालान की फीस जल्द जमा हो सके और जमा करने वाले को रसीद और मोबाइल पर चालान जमा करने का मैसेज भी आ सके। वर्तमान में लोग चालान को आफ व आनलाइन दोनों तरफ से जमा करते हैं।
चालान जमा करने की सुविधा जहां ई सुविधा केंद्रों पर मिलेगी, वहीं एक निर्धारित धनराशि हर चालान पर कार्यदायी संस्था को देने पर नगर विकास विभाग विचार कर रहा है। हालांकि यह राशि कितनी होगी और अन्य जिलों के लोग क्या इसका लाभ उठा सकेंगे, इन तमाम बिन्दुओं पर अभी आगे काम होना बाकी है। मेधज की महाप्रबंधक श्वेता के मुताबिक उन्नीस जिलों में यह सुविधा दी जा सकती है, बशर्ते इसे एकीकृत करने की जरूरत है।