लखनऊ से दबोचा गया ISI के आतंक‍ियों को फंडिंग करने वाला वसीउल्लाह

आतंकवाद निरोधक दस्ता ( एटीएस ) ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए भारतीय सेना की जासूसी करने वालों को फंड‍िग उप्‍लब्‍ध कराने वाले को दबोचा है। राजाजीपुरम का रहना वाला वसीउल्लाह क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से लेन-देन करता था। बता दें क‍ि वसीउल्लाह पहले साइबर ठगी करता था। इसके लिए उसने साइबर अपराध करने वालों के आनलाइन ग्रुप की सदस्यता भी ली थी।

 

लखनऊ । पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने वाले एजेंटों को फंड उपलब्ध करवाने वाले राजधानी के राजाजीपुरम स्थित मीना बेकरी के पास रहने वाले वसीउल्लाह पुत्र रहमत उल्लाह खान को आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने गिरफ्तार किया है। वसीउल्लाह ने अपने बैंक खाते से आतंकी गतिविधियों में लिप्त शैलेश कुमार उर्फ शैलेंद्र सिंह चौहान सहित कई अन्य को धनराशि भेजी की थी। इसकी पुष्टि होने के बाद एटीएस ने सोमवार को पूछताछ के बाद वसीउल्लाह को गिरफ्तार किया है।

एटीएस ने 25 सितंबर को आइएसआइ के लिए सेना की जासूसी करके तमाम गोपनीय जानकारियां देने के मामले में संदिग्ध आतंकी शैलेश को गिरफ्तार किया था। शैलेश से पूछताछ के बाद एटीएस को वसीउल्लाह के बारे में जानकारी मिली कि जो जानकारियां वह आइएसआइ को देता था उसके बदले में मिलने वाली धनराशि उसे वसीउल्लाह द्वारा भेजी जाती थी।

शैलेश व्हाट्स एप व फेसबुक के माध्यम से आइएसआइ को भारतीय सेना की कई गोपनीय जानकारियां भेज चुका था। सोमवार को एटीएस ने इस मामले में वसीउल्लाह को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था। उससे पहले एटीएस ने उसके बैंक खातों की जांच कर ली थी। बैंक खातों से शैलेश सहित कई संदिग्धों को बीते कुछ माह में काफी धनराशि भेजी गई थी। इसकी पड़ताल एटीएस की टीम कर रही है कि उसने कितनी धनराशि आतंकी गतिविधियों में लिप्त एजेंटों को भेजी है। उसके पास से दो मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं।

साइबर अपराधी था वसीउल्लाह

वसीउल्लाह पहले साइबर ठगी करता था। इसके लिए उसने साइबर अपराध करने वालों के आनलाइन ग्रुप की सदस्यता भी ली थी। यहीं से आइएसआइ के एजेंट व साइबर हैकर्स के साथ उसके संपर्क बने। इसके बाद आइएसआइ के एजेंटों के कहने पर उसने अपने बैंक खाते का इस्तेमाल धनराशि स्थानांतरित करने के लिए शुरू कर दिया। इसके बदले में उसे अच्छी रकम मिलती थी, लेकिन सारा लेन-देन वह क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से करता था। इसलिए काफी समय तक उसकी गतिविधियां एटीएस व पुलिस की नजरों से छिपी रहीं।

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