टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को मानसिक तौर पर सबसे मजबूत क्रिकेटरों में गिना जाता है। विराट ने कहा कि 2014 में इंग्लैंड दौरे पर फेल होने के दौरान वह डिप्रेशन झेल रहे थे। विराट ने बताया कि जब वह लगातार फेल हो रहे थे तो उन्हें ऐसा लगने लगा था कि वह दुनिया में अकेले ऐसे इंसान हैं। इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी मार्क निकोल्स के साथ बातचीत में कोहली ने स्वीकार किया कि वह उस दौरे के दौरान अपने करियर के मुश्किल दौर से गुजरे थे।
कोहली से जब पूछा गया कि वह कभी डिप्रेशन में रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ‘हां, मेरे साथ ऐसा हुआ था। यह सोचकर अच्छा नहीं लगता था कि आप रन नहीं बना पा रहे हो और मुझे लगता है कि सभी बल्लेबाजों को किसी दौर में ऐसा महसूस होता है कि आपका किसी चीज पर कोई कंट्रोल नहीं है।’ कोहली के लिए 2014 का इंग्लैंड दौरा निराशाजनक रहा था। उन्होंने पांच टेस्ट मैचों की 10 पारियों में 13.50 की औसत से रन बनाए थे। उनके स्कोर 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 रन थे। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे में उन्होंने 692 रन बनाकर शानदार वापसी की थी।
उन्होंने इंग्लैंड दौरे के बारे में कहा, ‘आपको पता नहीं होता है कि इससे कैसे पार पाना है। यह वह दौर था जबकि मैं चीजों को बदलने के लिए कुछ नहीं कर सकता था। मुझे ऐसा महसूस होता था कि जैसे कि मैं दुनिया में अकेला इंसान हूं।’ कोहली ने याद किया कि उनकी जिंदगी में उनका साथ देने वाले लोग थे, लेकिन वह तब भी अकेला महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तब उन्हें पेशेवर मदद की जरूरत थी।
उन्होंने कहा, ‘निजी तौर पर मेरे लिए वह नया खुलासा था कि आप बड़े ग्रुप का हिस्सा होने के बावजूद अकेला महसूस करते हो। मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे साथ बात करने के लिए कोई नहीं था लेकिन बात करने के लिए कोई पेशेवर नहीं था जो समझ सके कि मैं किस दौर से गुजर रहा हूं। मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ा कारक होता है। मैं इसे बदलते हुए देखना चाहता हूं।’
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‘मेंटल हेल्थ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता’
दुनिया के बेस्ट बल्लेबाजों में से एक भारतीय कप्तान का मानना है कि मेंटल हेल्थ के मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे किसी खिलाड़ी का करियर बर्बाद हो सकता है। कोहली ने कहा, ‘ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसके पास किसी भी समय जाकर आप यह कह सको कि सुनो मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं। मुझे नींद नहीं आ रही है। मैं सुबह उठना नहीं चाहता हूं। मुझे खुद पर भरोसा नहीं है। मैं क्या करूं।’ उन्होंने कहा, ‘कई लोग लंबे समय तक ऐसा महसूस करते हैं। इसमें महीनों लग जाते हैं। ऐसा पूरे क्रिकेट सीजन में बने रह सकता है। लोग इससे उबर नहीं पाते हैं। मैं पूरी ईमानदारी के साथ पेशेवर मदद की जरूरत महसूस करता हूं।’