जयपुर ब्लास्ट केस में निचली आदालतों ने 4 लोगों को दोषी करार दिया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां बीते दिन कोर्ट ने निचली अदालतों का फैसला पटलटते हुए सभी को बरी कर दिया। आइए जानें 15 साल पुरानी जयपुर ब्लास्ट की पूरी कहानी…
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। राजस्थान के जयपुर में साल 2018 में हुए सीरियल ब्लास्ट में 71 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। जयपुर में सिलसिलेवार 8 ब्लास्ट हुए थे और इसमें 185 लोग घायल भी हो गए थे। मामले में कई सालों तक जांच होने के बाद ट्रायल कोर्ट का निर्णय आया था और निचली आदालतों ने 4 लोगों को दोषी करार दिया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा जहां बीते दिन कोर्ट ने निचली अदालतों का फैसला पटलटते हुए सभी को बरी कर दिया। आइए जानें, 15 साल पुरानी जयपुर ब्लास्ट की पूरी कहानी…
चांदपोल बाजार में ब्लास्ट से सबसे ज्यादा मौतवर्ष 2018 को 13 मई के दिन यह ब्लास्ट हुए तो कई लोगों के परखच्चे उड़ गए तो कई लोग घायल हुए। दरअसल, ये ब्लास्ट जयपुर के चांदपोल बाजार स्थित हनुमान मंदिर में हुए थे और मंगलवार का दिन होने के चलते वहां श्रद्धालुओं की भीड़ जमा थी। इसी बीच मंदिर में बज रही घंटियों की आवाज के बीच एक जोरदार ब्लास्ट हुआ और 20 लोग मौके पर ही मर गए और कई लोग घायल हुए।
लगातार 8 ब्लास्ट से दहल उठा जयपुरचांदपोल बाजार में धमाका होने के बाद वहां अफरा तफरी का माहौल हो गया। लोग इधर उधर भागने लगे, वहीं दूसरी तरफ त्रिपोलिया बाजार में भी ब्लास्ट हो गया और लोग तेजी से भागते देखे गए। इसी प्रकार जयपुर के कई इलाकों में एक के बाद एक सिलसिलेवार 8 ब्लास्ट हुए और इसमें 71 लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
साइकिल बने रिहाई का जरियादरअसल, सभी 8 बम साइकिल में ही लगाए गए थे और इसी साइकिल की थ्योरी को लेकर हाई कोर्ट ने सभी चारों आरोपियों को बरी किया। 48 दिनों से मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की बेंच ने एटीएस की थ्योरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि साइकिल खरीदने की बात आपको जांच के 4 महीने बाद पता लगी, लेकिन 3 दिन बाद ही आपको कैसे पता चला कि आरोपियों ने जयपुर आकर साइकिल खरीदी।
कोर्ट ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि आतंकी 13 मई को ही आते हैं, साइकिल खरीदते है और बम लगाकर उसी दिन भाग जाते हैं। पीठ ने कहा कि इससे कुछ साबित नहीं होता है।