षट्तिला एकादशी आज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, कथा और मान्यताएं

पट्तिला एकादशी व्रत आज यानी 07 फरवरी 2021 (रविवार) को रखा जा रहा है। हिंदू धर्म में सभी व्रतों में से एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ माना जाता है। इसे तिल्दा या षटिला एकादशी भी कहते हैं। आज के दिन तिल के प्रयोग का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, षट्तिला एकादशी के दिन तिल को पानी में डालकर नहाना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि आज के दिन पूजा के दौरान भी देवी-देवताओं को तिल अर्पित करना उत्तम होता है।

षट्तिला एकादशी शुभ मुहूर्त-

एकादशी तिथि प्रारंभ-7 फरवरी 2021 सुबह 06 बजकर 26 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त-8 फरवरी 2021 सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक।

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षट्तिला एकादशी का महत्व-

षट्तिला एकादशी के दिन तिल के प्रयोग का खास महत्व होता है। कहते हैं कि इस दिन तिल का 6 तरह स्नान, उबटन, तर्पण, दान, सेवन और आहुति से पापों का नाश होता है।

षट्तिला एकादशी व्रत पूजा विधि-

1. इस दिन व्रती को सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए।
2. इसके बाद पूजा स्थल को साफ करना चाहिए। अब भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की मूर्ति, प्रतिमा या उनके चित्र को स्थापित करना चाहिए।
3. भक्तों को विधि-विधान से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
4. पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के भजन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।

षट्तिला एकादशी व्रत कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक महिला के खूब संपत्ति थी। वह गरीब लोगों को बहुत दान करती थी। वह जरूरतमंदों को बहुत ज्यादा दान देती थी। वह उन्हें बहुमूल्य सामान, कपड़े और बहुत सारे पैसे बांटती थी। लेकिन गरीबों को कभी भी भोजन नहीं देती थी। यह माना जाता है कि सभी उपहार और दान के बीच, सबसे महत्वपूर्ण भोजन का दान होता है क्योंकि यह दान करने वाले व्यक्ति को महान गुण प्रदान करता है। यह देखकर, भगवान कृष्ण ने उस महिला को यह बताने का फैसला किया। वह उस महिला के सामने भिखारी के रूप में प्रकट हुआ और भोजन मांगा। लेकिन उस महिला ने दान में भोजन देने से इनकार कर दिया और भगवान को गरीब समझकर भगा दिया।

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भिखारी बार-बार खाना मांगता रहा। परिणामस्वरूप, महिला ने भगवान कृष्ण का अपमान किया जो एक भिखारी के रूप में थे और गुस्से में भोजन देने के बजाय भीख की कटोरी में एक मिट्टी की गेंद डाल दी। यह देखकर उसने महिला को धन्यवाद दिया और वहां से निकल गया। जब महिला वापस अपने घर लौटी, तो वह यह देखकर हैरान रह गई कि घर में जो भी खाना था, वह सब मिट्टी में परिवर्तित हो गया। यहां तक कि उसने जो कुछ भी खरीदा वह भी केवल मिट्टी में बदल गया। भूख के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। उसने इस सब से बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की।

महिला के अनुरोध को सुनकर, भगवान कृष्ण उसके सपनों में प्रकट हुए और उसे उस दिन की याद दिलाई जब उसने उस भिखारी को भगा दिया था और जिस तरह से उसने अपने कटोरे में भोजन के बजाय मिट्टी डालकर उसका अपमान किया था। भगवान कृष्ण ने उसे समझाया कि इस तरह के काम करने से उसने अपने दुर्भाग्य को आमंत्रित किया और इस कारण ऐसी परिस्थितियां बन रही हैं। उन्होंने उसे षट्तिला एकादशी के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन दान करने की सलाह दी और व्रत रखने को भी कहा। महिला ने एक व्रत का पालन किया और साथ ही जरूरतमंद और गरीबों को बहुत सारा भोजन दान किया और इसके परिणामस्वरूप उसे सभी सुखों की प्राप्ति हुई।

5. प्रसाद, तुलसी जल, फल, नारियल, अगरबत्ती और फूल देवताओं को अर्पित करने चाहिए।
6. अगली सुबह यानि द्वादशी पर पूजा के बाद भोजन का सेवन करने के बाद षट्तिला एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए।

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