संजय गांधी PGI ने खोजा शुगर नियंत्रित करने का उपाय, जल्‍द खुलेगा डायबिटीज के इलाज का नया रास्ता,

इंडोक्राइनोलाजी विभाग के विज्ञानी कर रहे चुनिंदा मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी। डा. रोहित सिन्हा के मुताबिक चूहों और अल्फा सेल पर परीक्षण के बाद जल्द ही कुछ चुनिंदा शुगर के मरीजों पर भी इस दवा का परीक्षण करने की तैयारी है।

 

लखनऊ,  पीजीआइ ने अनियंत्रित शुगर के निदान का उपाय खोज लिया है। इसके साथ ही डायबिटीज के इलाज का नया रास्ता भी खुल गया है। संस्थान के इंडोक्राइनोलाजी विभाग के विज्ञानियों ने इलाज की इस विधि को प्रयोगशाला में स्थापित किया है, जिसे विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। संस्थान के इंडोक्राइनोलाजी विभाग के विज्ञानी डा. रोहित सिन्हा के मुताबिक चूहों और अल्फा सेल पर परीक्षण के बाद जल्द ही कुछ चुनिंदा शुगर के मरीजों पर भी इस दवा का परीक्षण करने की तैयारी है।

दरअसल, पैंक्रियाज (अग्नाशय) से इंसुलिन हार्मोन का स्राव होता है, जो पैंक्रियाज में बीटा सेल का निर्माण करता है। इस सेल की कार्य प्रणाली में कमी आने पर इंसुलिन कम बनता है, जिससे शुगर का उपापचय नहीं हो पाता। यह सामान्य शुगर होने की प्रक्रिया है। पैंक्रियाज से ग्लूकागन हार्मोन का भी स्राव होता है, जो अग्नाशय में स्थित अल्फा सेल से स्रावित होता है। यह हार्मोन लिवर में जाकर अधिक शुगर बनाने को प्रेरित करता है। इंसुलिन लेने के बाद भी यदि ग्लूकागन अधिक मात्रा में बनेगा तो शुगर भी ज्यादा बनेगा। इससे डायबिटीज इंसुलिन देने के बाद भी कई बार अनियंत्रित रहती है। शुगर के कुल मरीजों में से 0.5 से 0.8 में अनियंत्रित शुगर की परेशानी होती है। पैंक्रियाज में एमटीओआरसी-1 (मम्मलियान टारगेट आफ रैपामायसिन) प्रोटीन ग्लूकागन को स्रावित करता है। इस प्रोटीन को ब्लाक कर दिया जाए तो यह पैंक्रियाज से बाहर नहीं निकलेगा और शुगर भी अधिक नहीं बनेगा। इससे शुगर का स्तर नियंत्रित रहेगा।

ऐसे किया शोध

चूहों में खास दवा देकर पहले उनके बीटा सेल को नष्ट किया, जिससे उनमें इंसुलिन बनना बंद हो गया। शुगर का स्तर बढ़ गया तो इन चूहों में ग्लूकागन हार्मोन के स्राव को रोकने के लिए उन्हें रैपामायसिन त्वचा में दिया तो देखा उनमें शुगर का स्तर कम हो गया। इसके साथ लैब में सेल पर यह प्रक्रिया कर इसे स्थापित किया गया। इस शोध को अंतरराष्ट्रीय जर्नल मालिक्यूलर मेटाबालिज्म ने स्वीकार किया है। इस शोध में छात्र डा. संगम रजक, डा. अर्चना तिवारी और डा. सना रजा ने विशेष भूमिका निभाई ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *