विश्व व्यापार संगठन की बैठक में भारत को बड़ा झटका लगा है। डब्ल्यूएचओ मंत्रिस्तरीय बैठक में मत्स्य पालन सब्सिडी के मुद्दे पर भारत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया है। सब्सिडी बंद करने के प्रस्ताव पर विश्व व्यापार संगठन के खिलाफ मछुआरों ने प्रदर्शन किया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत के कई तटीय क्षेत्रों के मछुआरा समुदाय के लोगों ने रविवार को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रस्तावित मत्स्य पालन सब्सिडी बंद करने के खिलाफ प्रदर्शन किया। मछुआरों ने कहा कि इसके लिए विकासशील देश जिम्मेदार नहीं हैं। अगर सब्सिडी खत्म की गई, तो लाखों मछुआरों का गुजर-बसर कठिन हो जाएगा। सब्सिडी बंद होने से मछुआरों के जीवन पर बुरा असर पड़ सकता है।
भारत मछली पर सब्सिडी देने वाले बड़े देशों में सम्मिलित नहीं
बंगाल निवासी बिमान जाना ने कहा कहा यह पारंपरिक मछुआरों के खिलाफ नहीं होना चाहिए, अगर सब्सिडी बंद करने की आवश्यकता है, तो यह औद्योगिक मछुआरों के लिए होना चाहिए। यह हमारी मुख्य मांग है। प्रेट्र के अनुसार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में विकसित देश प्रस्तावित मत्स्य पालन सब्सिडी समझौते के तहत सब्सिडी को खत्म करने पर जोर दे रहे हैं। चीन, यूरोपीय संघ (ईयू)और अमेरिका जैसे देशों के विपरीत भारत मछली पर सब्सिडी देने वाले बड़े देशों में सम्मिलित नहीं है।
भारत ने छोटे मछुआरों को 2018 में 27.7 करोड़ डालर की दी थी सब्सिडी
मछली पर सर्वाधिक सब्सिडी देने वाले देशों में चीन सबसे ज्यादा 7.3 अरब डालर सब्सिडी देता है। यूरोपीय संघ 3.8 अरब डालर और अमेरिका 3.4 अरब डालर देता है। वहीं, भारत ने छोटे मछुआरों को 2018 में सिर्फ 27.7 करोड़ डालर सब्सिडी दिया गया था।
2016 के अनुसार देश में कुल समुद्री मछुआरों की आबादी 37.7 लाख
सीएमएफआरआई (सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट) की जनगणना 2016 के अनुसार देश में कुल समुद्री मछुआरों की आबादी 37.7 लाख है, जिसमें नौ लाख परिवार शामिल हैं। लगभग 67.3 प्रतिशत मछुआरे बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत थे।