साल का अंतिम चंद्र ग्रहण आठ नवंबर को लग रहा है। इस दौरान नौ घंटे पहले मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। वहीं सात को मनकामेश्वर उपवन घाट पर देव दीपावली मनाई जाएगी और एक लाख दीपक जलेंगे।
लखनऊ, वर्ष 2022 का अंतिम चंद्र ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा यानि आठ नंवबर को लगेगा। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर को दोपहर बाद 1:32 बजे से शुरू होगा और शाम 7:27 बजे तक इसका प्रभाव रहेगा। चंद्र ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना दोनों ही वर्जित होता है। इस दौरान पूजा भी नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए। वहीं यह चंद्रग्रहण पांच राशियों के लिए बेहद लाभकारी होने वाला है। इसके अलावा खंडग्रास ग्रहण काल के नौ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा और मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे।
सात नवंबर को मनकामेश्वर उपवन घाट पर एक लाख दीपाकों के साथ देव दीपावली मनाई जाएगी। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद यानी आठ नवंबर को कार्तिक माह की पूर्णिमा पर साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग रहा। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पूर्णिमा की रात को सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही रेखा में होते हैं।
पृथ्वी के बीच में रहने से इसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है, यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा, जो कि भारत के कई हिस्सों में नजर आएगा। भारत में ग्रस्तोदित खंडग्रास चंद्र ग्रहण शाम को 5:09 बजे से शुरू होगा जो शाम 6:19 बजे तक होगा। यह ग्रहण मेष राशि और भरणी नक्षत्र में होगा। भारत के अलावा यह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में नजर आएगा।
15 दिनों में दो ग्रहण का प्रभाव शुभ नहीं माना जाता है। ग्रहण के बाद एक महीने तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण पूर्वी भाग में ही दिखाई देगा। अधिकांश क्षेत्रों से यह आंशिक रूप में देखने को मिलेगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से नौ घंटे पहले शुरू हो जाएगा। ग्रहण की समाप्ति पर सूतक समाप्त हो जाएगा।
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सावधान रहना चाहिए। चंद्र ग्रहण का सूतक काल अशुभ माना जाता है। सूतक काल शुरू होने के बाद पूजा या अन्य धार्मिक कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि ग्रहण लगने के कुछ समय पहले खाद्य पदार्थों में कुश या तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए।
चंद्र ग्रहण के दौरान देवी-देवताओं के बीज मंत्र, भगवान विष्णु, गायत्री मंत्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे ग्रहण का प्रभाव कम हो जाता है। ग्रहण काल में गर्भवतियां कैंची, छुरी नुकीली वस्तुए प्रयोग न करें, अपने पास कुश और गंगा जल रखें और मंत्रों का जाप मन में करें। भगवान की प्रतिमा का स्पर्श ना करें। चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करें और उसके बाद घर में गंगाजल का छिड़काव जरूर करें।
पांच राशियों के लिए लाभकारी होगा ग्रहण : आचार्य ने बताया कि ग्रहण पांच राशियों मिथुन, सिंह, वृश्चिक, मकर और कुंभ के लिए लाभकारी साबित होगा। चार राशियों मेष, कर्क, तुला, मीन के लिए हानिकारक होगा। वृष, कन्या व धनु राशियों को ग्रहण के मध्यम फल मिलेंगे।