एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स नामक पत्रिका में बुधवार को प्रकाशित शोध में साक्ष्यों के हवाले से कहा गया है कि वायु प्रदूषण घटने का स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। इसमें उन पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है जो बीमारी को प्रभावित करते हैं।
लंदन, प्रेट्र। स्पेन में हुए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहने वालों में कोरोना संक्रमण की जटिलताएं बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है। एनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स नामक पत्रिका में बुधवार को प्रकाशित शोध में साक्ष्यों के हवाले से कहा गया है कि वायु प्रदूषण घटने का स्वास्थ्य पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है। इसमें उन पहलुओं का भी उल्लेख किया गया है, जो बीमारी को प्रभावित करते हैं।
शोधकर्ताओं ने कहा कि पूर्व के शोध निष्कर्षो में यह बताया गया था कि महामारी से पहले जिन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा था, उनमें कोरोना के मामले अधिक आए। हालांकि, शोधकर्ता इस संबंध में अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। उनका मानना है कि वायु प्रदूषण वायरस के प्रसार में मददगार हो सकता है। यह व्यक्ति विशेष की बीमारी या संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ा सकता है।
स्पेन स्थित बार्सिलोना इंस्टीट्यूट आफ ग्लोबल हेल्थ से जुड़े और अध्ययन के प्रथम लेखक मनोलिस कोगेविनास के अनुसार, ‘समस्या यह है कि पहले के अध्ययन उन मामलों पर आधारित थे, जिनका जांच के जरिये पता चला था, लेकिन लक्षण न दिखने वाले और जांच नहीं करवाने वाले मामलों का उसमें उल्लेख नहीं था।’ शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया में रहने वाले उन वयस्कों के वायरस आधारित एंटीबाडी का अध्ययन किया, जो लंबे समय तक प्रदूषित वायु के बीच रहते हैं। अध्ययन में 9,605 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 481 कोरोना संक्रमित थे।
पांच वायरल एंटीजन के लिए आइजीएम, आइजीए और आइजीजी एंटीबाडी की मौजूदगी और मात्रा निर्धारित करने के लिए चार हजार से अधिक प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल भी लिए गए, जिससे शरीर इसके खिलाफ इम्यून बनाता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इनमें से 18 फीसदी में वायरस के एंटीबाडी थे, लेकिन संक्रमण और वायु प्रदूषण के कारणों के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।