एक ओर शासन-प्रशासन जहां तमाम दावे करने में लगा है वहीं हकीकत कुछ और बयां कर रही है। ऑक्सीजन की मांग पर खाली सिलेंडर पकड़ा दिया जाता है। स्वजन सिलेंडर भरवा के लाते है तो किट नहीं मिलती। देर इतनी हो जाती का बीमार व्यक्ति दम तोड़ देता है।
कानपुर । घाटमपुर सीएचसी में ऑक्सीजन के अभाव में एक युवक ने दम तोड़ दिया। घटना से आक्रोशित स्वजन ने स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया। परिसर में लगे खिड़की-दरवाजों के शीशे तोड़ दिए। पुलिस ने लोगों को कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कराया।
एक ओर शासन-प्रशासन जहां तमाम दावे करने में लगा है वहीं हकीकत कुछ और बयां कर रही है। ऑक्सीजन की मांग पर खाली सिलेंडर पकड़ा दिया जाता है। स्वजन सिलेंडर भरवा के लाते है तो किट नहीं मिलती। देर इतनी हो जाती का बीमार व्यक्ति दम तोड़ देता है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। ऐसा ही एक मामला कस्बे के सीएचसी में आया है। कस्बे के जवाहर नगर पूर्वी निवासी विजय बहादुर पटेल के पुत्र 34 वर्षीय योगेश सिंह पटेल को शुक्रवार सुबह अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई।
स्वजन आनन-फानन एक निजी अस्पताल में ले गए जहां पर डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। वहां से उनको सीएचसी लाया गया। योगेश के साले हिमांशू सचान ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन लगाने को कहा गया पर वहां मौजूद डॉक्टरों ने खाली सिलेंडर पकड़ाकर उसे भरवाकर कर लाने को कहा। आरोप है कि जैसे-तैसे उसे भरवाकर लाए तो अस्पताल के स्टाफ ने किट देने से मना कर दिया। रेफर भी नहीं कर रहे थे। इस सारी प्रक्रिया में करीब दो घंटे लग गए। तब तक योगेश ने दम तोड़ दिया। घटना से आक्रोशित स्वजन ने अस्पताल परिसर के आपातकालीन कक्ष में लगे खिड़की-दरवाजे के शीशे तोड़ दिए और स्वास्थ्य कर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगा कर हंगामा करने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत करवाकर कार्रवाई का आश्वासन दिया। इंस्पेक्टर धनेष प्रसाद ने बताया की जांच की जा रही है।
20 दिन पहले हुए थे सड़क हादसे के शिकार : योगेश के साले हिमांशू पटेल ने बताया की योगेश मूसानगर रोड में फोटोग्राफी की दुकान किए हुए थे। दो अप्रैल को बाइक से जा रहे थे तभी हाईवे पर एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी। जिसमें उनकी पसलियों में चोटें आईं थी। जिसका इलाज कानपुर के एक अस्पताल से चल रहा था। घटना से पत्नी नमृता व दो मासूम बेटी महक व मीठी का रो-रोकर बुरा हाल है।
इनका ये है कहना
स्वजन रेफर कराने को लेकर एंबुलेंस लेने के लिए आए थे। अस्पताल में आठ सिलेंडर है जो भरे हुए है। युवक को तुरंत उपचार दिया गया था। सभी आरोप निराधार है।