शिवचरन को एक दिन पहले ही यह पता चला था कि मुख्यमंत्री उनसे बात करेंगे। इसके लिए जिला मुख्यालय बुलाया गया। दोपहर तीन बजे ही शिवचरन कलक्ट्रेट पहुंच गए।
लखीमपुर: पंचायत चुनाव में निर्विरोध प्रधान बने पलिया के मसानखंभ के प्रधान शिवचरन से शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब तीन मिनट तक बात की। मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या ऐसा काम किया है, जिससे वह निर्विरोध प्रधान बने। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने गांव में कराए गए कामों के बारे में जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने शिवचरन को बधाई दी। इस दौरान डीएम शैलेंद्र सिंह, सीडीओ अरविद सिंह व डीपीआरओ सौम्य शील सिंह भी एनआईसी में मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को प्रदेश के 10 जिलों के प्रधानों से बात की। इसमें खीरी जिले की पलिया ब्लॉक की ग्राम पंचायत मसानखंभ के प्रधान शिवचरन छठे नम्बर पर शामिल रहे। शाम को करीब 4:33 मिनट पर मुख्यमंत्री शिवचरन से रूबरू हुए। मुख्यमंत्री ने करीब तीन मिनट तक शिवचरन से उनके गांव व क्षेत्र के बारे में बात करते रहे। शिवचरन को एक दिन पहले ही यह पता चला था कि मुख्यमंत्री उनसे बात करेंगे। इसके लिए जिला मुख्यालय बुलाया गया। दोपहर तीन बजे ही शिवचरन कलक्ट्रेट पहुंच गए। मुख्यमंत्री से बात करने को वह काफी उत्साहित दिखे। मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद कक्ष से बाहर निकले शिवचरन ने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करने को लेकर काफी उत्साह रहा। मुख्यमंत्री ने जो पूछा वह बताया। ऐसा लग रहा था कि मुख्यमंत्री उनको व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। बताते चलें कि मुख्यमंत्री ने वर्चुअल रूप से प्रदेश के 10 जिलों के 10 प्रधानों से बात की। वार्ता के दौरान डीएम, सीडीओ, डीपीआरओ भी मौजूद रहे।
नेपाली नेटवर्क के सहारे, थारू इलाके की कनेक्टिविटी का दर्द
प्रधान चुने गए थारू बाहुल्य गांव के शिवचरन का दर्द है उनके क्षेत्र में कनेक्टिविटी न होना। शिवचरन ने बताया कि नेपाल बार्डर पर जंगलों में आदिवासी थारू जनजाति के गांव आबाद हैं। यहां सबसे बड़ी समस्या मोबाइल फोन की कनेक्टिविटी है। चंदनचौकी में टावर लगा है लेकिन सिग्नल नहीं रहते हैं। इससे पूरा इलाका जिला मुख्यालय से कटा रहता है। इसको लेकर वह सीएम से समस्या बताना चाहते थे। इसके अलावा एक और दर्द है। उनका कहना है कि जंगलों में आबाद थारू बाहुल्य गांवों के गरीब जंगल से घास आदि काटकर जीवन निर्वाह करते हैं। 2011-12 में कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए गए। उनको जेल जाना पड़ा। इसमें कई ऐसे हैं जो निर्दोष हैं। वह यह मांग करते हैं कि उस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।