संतकबीर नगर में सांसद-सीएमएस का विवाद अब सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंच गया। यह विवाद एंबुलेंसकर्मियों द्वारा हाइवे पर कूड़े के ढेर पर मरीज को तड़पता छोड़ दिए जाने पर शुरू हुआ था। सीएम तक मामला पहुंचने पर स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है।
संतकबीर नगर, मार्ग दुर्घटना में घायल एक किशोर को एंबुलेंसकर्मियों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कूड़े के ढ़ेर पर तड़पता छोड़ दिए जाने का मामला अब लखनऊ में मुख्यमंत्री के पास तक पहुंच गया है। इसे लेकर जिलाधिकारी द्वारा गठित दो सदस्यीय टीम की जांच की प्रगति रिपोर्ट निराशाजनक सामने आई तो सांसद ने मुख्यमंत्री से मिलकर कार्रवाई की मांग की है। मामले में कार्रवाई तय मानी जाने को लेकर जिला अस्पताल समेत जनपद के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है।
बीते छह जून की रात दुधारा थाना क्षेत्र के कविता गांव के पास अज्ञात चार पहिया वाहन ने बाइक को ठोकर मार दिया। बाइक पर सवार दो किशोरों की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई थी, जबकि तीसरा अर्जुन पुत्र विनोद घायल हो गया था। घायल अर्जुन को लेकर एंबुलेंसकर्मी जिला अस्पताल के लिए निकले। कर्मी ने उसे अस्पताल पहुंचाने की बजाय शहर के नेदुला में राजमार्ग के किनारे कूड़े के ढेर पर फेंक दिया और चलते बने। अगले दिन बुधवार की सुबह नेदुला के कुछ लोगों ने टहलने के दौरान किशोर को पड़ा देखा। उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।
घायल किशोर को सड़क पर फेंक दिए जाने की जानकारी मिलने पर सांसद प्रवीण निषाद, विधायक अंकुर राज तिवारी व विधायक अनिल कुमार त्रिपाठी के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। किशोर के स्वजन वहां भर्ती रोगियों व उनके तीमारदारों ने अव्यवस्था की शिकायत की। सांसद ने जिला अस्पताल के सीएमएस डा. महेश प्रसाद को तलब किया और फटकार लगाई। इसी दौरान सीएमएएस ने अभद्रता का आरोप मढ़ते हुए सांसद को अपने पद से त्यागपत्र थमा दिया। सांसद इसे सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास मानते हुए कार्रवाई पर अड़ गए।
मामला गंभीर होता देखकर डीएम ने कमेटी गठित करके सीडीओ व एडीएम को संयुक्त रूप से जांच करके एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा। खास बात है कि एक सप्ताह के बजाय 10 दिन से अधिक समय बीतने के बाद जनपद के दोनों अधिकारी जांच पूरी करना तो दूर अभी तक शुरू भी नहीं किए। हालांकि एडीएम इसी बीच स्थानांतरित भी हो गए। जिलाधिकारी संदीप कुमार ने कहा कि मामले की जांच कर एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन एडीएम का स्थानांतरण हो गया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं किया था।