सुपरटेक के खिलाफ SC ने बंद किया अवमानना का केस, इलाहाबाद HC ने टावरों को गिराने का दिया था आदेश,

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस परियोजना में निर्मित टावरों को गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया कि सुपरटेक की अपील वर्ष 2014 से लंबित है और निपटारे के लिए मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए तय कर दी।

 

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत की शीर्ष अदालत ने  शुक्रवार को रियल इस्टेट कंपनी सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ अवमानना केस बंद कर दिया। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एमरल्ड कोर्ट परियोजना में फ्लैट बुक करने वाले कुछ खरीददारों की धनराशि वापस कर दी है।

इलाहाबाद HC ने टावरों को गिराने का दिया था आदेश

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस परियोजना में निर्मित टावरों को गिराने का आदेश दिया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इस बात पर संज्ञान लिया कि सुपरटेक की अपील वर्ष 2014 से लंबित है और निपटारे के लिए मामले की सुनवाई अगले हफ्ते के लिए तय कर दी। मामले में न्यायमित्र नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने कहा, सिर्फ एक सवाल पर फैसला होना बाकी है कि निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा दी गई अनुमति वैध है या नहीं।

आदेशों के अनुपालन में कंपनी ने 50 करोड़ रुपये रजिस्ट्री में जमा कराए

सुपरटेक की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा, अदालत को देखना होगा कि टावरों की 73 मीटर से बढ़ाकर 120 मीटर की गई ऊंचाई वैध है अथवा नहीं। उन्होंने बताया कि अदालत के आदेशों के अनुपालन में कंपनी ने 50 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करा दिए हैं। इस पर कोर्ट ने अवमानना केस बंद कर दिया।

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