सोचा नहीं था उप मुख्यमंत्री तक पहुंचेगी बात, कानपुर के उर्सला में इलाज के पैसे मांगने पर मुकदमा दर्ज

कानपुर के उर्सला अस्पताल में हड्डी के इलाज के लिए पैसे मांगना महंगा पड़ गया है। मामले की शिकायत उप मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है। जिसके बाद विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। खुद को पाक-साफ बताने के लिए अब एजेंट के खिलाफ तहरीर दी गई है।

 

कानपुर । उर्सला अस्पताल में महिला मरीज के हाथ के आपरेशन के लिए डाक्टर के एजेंट ने 14 हजार रुपये ले लिए। इस पर मरीज के स्वजन ने उप मुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) ब्रजेश पाठक से शिकायत कर दी। सोमवार को डिप्टी सीएम ने गंभीरता से लेते हुए महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य (डीजी हेल्थ) से इसकी रिपोर्ट मांगी तो उर्सला अस्पताल में खलबली मच गई। डीजी हेल्थ ने उर्सला निदेशक से त्वरित जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जांच में पता चला कि अस्पताल में डाक्टरों के अपने-अपने एजेंट सक्रिय हैं। इनके माध्यम से पैसे मरीजों से पैसे वसूले जाते हैं। इस पर अस्पताल प्रशासन ने मरीज से वसूली करने वाले एजेंट के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी है।

उन्नाव जिले के सफीपुर निवासी शांति देवी 11 अप्रैल को उर्सला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. राजेश बाजपेई को दिखाया। उनकी देखरेख में अस्पताल में भर्ती हुईं थीं। महिला के हाथ की हड्डी टूटी हुई थी। इस पर डा. बाजपेई ने आपरेशन में इंप्लांट का खर्च 12 हजार रुपये खर्च आने की बताई थी। उन्होंने महिला के हाथ में ह्यूमरस प्लेट डाल कर आपरेशन भी कर दिया। मरीज के स्वजन का आरोप है कि डाक्टर के कहने पर उनके बताए एजेंट ने 14 हजार रुपये लिए। साथ ही अस्पताल में आपरेशन शुल्क 267 रुपये भी जमा कराए। 14 अप्रैल को आपरेशन भी हो गया। शांति देवी के स्वजन ने सोमवार को डिप्टी सीएम से शिकायत कर दी। उसमें यह कहा कि डाक्टर के कहने पर सौरभ नाम के कर्मचारी उनसे 14 हजार रुपये लिए और उसके बाद से वह गायब है। उसने 14 हजार रुपये लिए और इम्प्लांट की रसीद 12 हजार ही दी। डाक्टर के नाम पर आपरेशन के नाम पर वसूली की शिकायत को डिप्टी सीएम ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने डीजी हेल्थ डा. वीवी सिंह को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।

सौरभ नाम का कोई भी कर्मचारी अस्पताल में नहीं है।

शासन के आदेश पर जांच कराई है। उसके बाद कोतवाली में एफआईआई दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है। आर्थोपेडिक सर्जन डा. राजेश बाजपेई का कहना है कि उन्होंने मरीज से एक भी पैसा नहीं लिया है। न ही उन्होंने इम्प्लांट ही दिया है। डीजी हेल्थ को इस प्रकरण से रिपोर्ट भेजकर अवगत करा दिया है। अब मरीज के तीमारदार भी पीछे हट रहे हैं। – डा. एके निगम, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, उर्सला अस्पताल।

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