उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और संस्थानों के परिसर में बड़े पैमाने पर बने सरकारी आवासों में प्रोफेसर व अधिकारी-कर्मचारी तक रहते हैं। विश्वविद्यालय के बिजली कनेक्शन से ही अपने आवास में भी बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए उनके द्वारा नाम-मात्र का ही बिल जमा किया जाता है।
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में अब राज्य विश्वविद्यालय के सरकारी आवासों पर रहने वालों को खुद के नाम से बिजली का कनेक्शन लेना होगा। अभी विश्वविद्यालयों के नाम कनेक्शन से ही ज्यादातर आवासों में बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए नाम-मात्र का ही भुगतान किए जाने से जहां विश्वविद्यालयों को भारी-भरकम बिजली का बिल चुकाना पड़ रहा है वहीं बिजली का खूब दुरुपयोग भी हो रहा है।
राज्यपाल (कुलाधिपति) आनंदीबेन पटेल ने इसको गंभीरता से लेते हुए विश्वविद्यालयों के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम से ही बिजली कनेक्शन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। राज्यपाल के निर्देश पर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक द्वारा सभी डिस्काम के प्रबंध निदेशकों को विश्वविद्यालय परिसर में कैंप लगाकर निजी नाम से कनेक्शन देने के लिए कहा गया है।
उत्तर प्रदेश के 29 विश्वविद्यालयों और संस्थानों के परिसर में बड़े पैमाने पर बने सरकारी छोटे-बड़े आवासों में प्रोफेसर से लेकर अधिकारी-कर्मचारी तक रह रहे हैं। गौर करने की बात यह है कि सरकारी आवासों में रहने वाले, विश्वविद्यालय के बिजली कनेक्शन से ही अपने आवास में भी बिजली का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके लिए उनके द्वारा नाम-मात्र का कुछ सौ रुपये ही बिल जमा किया जाता है जबकि प्रतिमाह हजारों रुपये की बिजली का इस्तेमाल किया जाता है।
पिछले दिनों राज्य विश्वविद्यालयों व संबंधित संस्थानों की समीक्षा के दौरान यह तथ्य संज्ञान में आने पर कुलाधिपति द्वारा कुलपतियों व निदेशकों को व्यवस्था ठीक करने के निर्देश देते हुए कहा गया था कि सरकारी आवास में रहने वाले अपने-अपने नाम से बिजली कनेक्शन लें लेकिन ज्यादातर ने अपने नाम से कनेक्शन नहीं लिया। इस पर राजभवन में पावर कारपोरेशन के अफसर बुलाए गए।
कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने राज्यपाल के निर्देश पर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार को राज्य विश्वविद्यालयों व संस्थानों के कुलपति व निदेशकों से समन्वय करके सभी सरकारी आवासों में रहने वालों को उनके नाम से बिजली कनेक्शन दिलाने की व्यवस्था करने को कहा है। राजभवन की गंभीरता को देखते हुए कारपोरेशन के एमडी ने सभी डिस्काम के प्रबंध निदेशकों को विश्वविद्यालयों व संस्थान के परिसर में ही कैंप लगाकर सभी संबंधित को निजी नाम से कनेक्शन दिलाने को कहा गया है।
यूपी पावर कारपोरेशन को सौंपी गई सूची में शामिल विश्वविद्यालय-संस्थान
- दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय
- चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ
- हरकोट प्राविधिक विश्वविद्यालय कानपुर
- प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भय्या) प्रयागराज
- डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा
- ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ
- सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर
- डा. एपीजे कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय लखनऊ
- महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली
- बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय बांदा
- छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर
- वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर
- लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ
- भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय लखनऊ
- उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज
- डा. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या
- जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
- आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर
- सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ
- उप्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा
- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी
- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी
- मदन मोहन मालवीय प्राविधिक विश्वविद्यालय गोरखपुर
- डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ
- संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ
- डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ
- किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ