अमेरिका की उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने के बाद कमला देवी हैरिस ने पहली बार देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम चांद पर जाते हैं और वहां अपना ध्वज फहराते हैं। हम बहादुर, निडर और महत्वाकांक्षी हैं। हम अपने इस भरोसे को लेकर अडिग हैं कि हम चुनौतियों से पार पाएंगे और उठ खड़े होंगे। यह अमेरिकी आकांक्षा है।
हैरिस ने इस बात पर जोर दिया कि देश के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकियों से संकट से उबरने और एकजुट होने के प्रयास करने की अपील की है। भारतीय मूल की हैरिस ने ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बुधवार को अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। हैरिस ने लिंकन मेमोरियल के बाहर कहा, कई मायनों में यह क्षण एक देश के रूप में हमारे चरित्र को दर्शाता है। यह दिखाता है कि मुश्किल समय में भी हम कौन हैं। हम केवल सपने ही नहीं देखते, उन्हें साकार भी करते हैं। हम केवल यह नहीं देखते कि क्या हो रहा है, हम यह भी देखते हैं कि क्या हो सकता है।
लिंकन और मार्टिन लूथर का जिक्र किया
हैरिस ने असैन्य युद्ध के दौरान पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन की उपलब्धियों का हवाला दिया और कहा कि उन्होंने बेहतर भविष्य देखा और बड़े कॉलेजों एवं अंतरमहाद्वीपीय रेलमार्गों के साथ इसका निर्माण किया। इस बात का भी जिक्र किया कि मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने किस प्रकार नस्ली एवं आर्थिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि आम नागरिकों के अधिकारों के आंदोलन के बीच डॉ. किंग ने नस्ली न्याय एवं आर्थिक न्याय के लिए संघर्ष किया। अमेरिकी आकांक्षाओं ने समान अधिकारों की मांग करने के लिए इस देश की महिलाओं को प्रेरित किया।
बड़े प्रयोग के लिए दृढ़ संकल्प की जरूरत
हैरिस ने कहा, बड़े प्रयोग के लिए दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है। इसके लिए काम करने और उसके बाद उसमें सुधार करते रहने की आवश्यकता है। अमेरिका में आज इसी दृढ़ संकल्प के साथ काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा, मुझे यह दृढ़ संकल्प भविष्य को बदल रहे वैज्ञानिकों में दिखता है। मुझे यह उन अभिभावकों में दिखता है, जो आगामी पीढ़ियों का लालन-पालन कर रहे हैं, मुझे यह उन नवोन्मेषकों, उन शिक्षकों में दिखता है, जो अपने, अपने परिवार और अपने समुदायों के लिए बेहतर जीवन बना रहे हैं।