हर 10 में से केवल एक मधुमेह रोगी को मिलता है उचित इलाज, जानें क्‍या कहते हैं आंकड़े,

दुनियाभर में करीब 50 करोड़ लोग मधुमेह रोग से ग्रस्त हैं लेकिन अधिकांश को उस प्रकार का उचित इलाज नहीं मिल पाता है जिससे कि वे स्वस्थ दीर्घ और उत्पादक जीवन जी सकें। यह जानकारी लैंसेट हेल्दी लांजिविटी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई है।

 

मिशिगन (अमेरिका), एजेंसियां। दुनियाभर में करीब 50 करोड़ लोग मधुमेह रोग से ग्रस्त हैं लेकिन अधिकांश को उस प्रकार का उचित इलाज नहीं मिल पाता है, जिससे कि वे स्वस्थ, दीर्घ और उत्पादक जीवन जी सकें। यह जानकारी एक वैश्विक अध्ययन से सामने आई है। लैंसेट हेल्दी लांजिविटी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन में शामिल कम और मध्यम आय वाले 55 देशों में मधुमेह के हर 10 में से सिर्फ एक ही रोगी को वैसा उचित इलाज मिल पाता है, जिससे कि मधुमेह से जुड़ी अन्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है।

टाली जा सकती हैं जानलेवा स्थितियां

हालांकि यदि ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलस्ट्राल कम करने वाली दवाएं यदि कम दाम पर मिलें तथा व्यायाम की गतिविधियां जारी रहें तो मधुमेह से जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक, नर्व डैमेज, अंग काटने की नौबत या जानलेवा स्थितियों को टाला जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन तथा ब्रिघम और वुमेन हास्पिटल की टीम ने एक ग्लोबल पार्टनर के साथ मिलकर यह व्यापक अध्ययन किया है, जिसमें देशों और क्षेत्रों के बीच तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है।

डब्ल्यूएचओ को सौंपे गए निष्‍कर्ष

शोधकर्ताओं ने 25 से 64 साल उम्र वर्ग के 6.80 लाख से अधिक लोगों के सर्वे और जांच व परीक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इनमें से 37 हजार से अधिक लोग मधुमेह पीडि़त थे। दिलचस्प यह कि इनमें से आधे से अधिक लोगों में तो डायग्नोसिस (रोग की पहचान) भी नहीं की जा सकी, जबकि उनमें ब्लड शुगर अधिक होने के बायोमार्कर मौजूद थे।

डब्ल्यूएचओ को सौंपे गए निष्‍कर्ष

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के निष्कर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सौंपे हैं, जो दुनियाभर में मधुमेह रोगियों की उचित देखभाल की दिशा में ग्लोबल डायबिटीज कंपैक्ट की पहल कर रहा है।

अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष

मधुमेह के 90 फीसद रोगियों को संपूर्ण उचित इलाज नहीं मिलता है। खास तरह की देखभाल में भी काफी अंतर होता है। उदाहरण के लिए- मधुमेह के करीब आधे रोगी ब्लड शुगर कम करने की दवा ले रहे थे, 41 फीसद ब्लड प्रेशर कम रखने की और सिर्फ 6.3 फीसद कोलेस्ट्राल कम करने की दवा ले रहे थे।

इलाज की जरूरत

ये आंकड़े दर्शाते हैं कि ब्लड शुगर कम रखने के साथ ही कार्डियोवास्कुलर रोगों के जोखिम वाले कारकों- हाई बीपी और कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रित रखने का इलाज दिए जाने की जरूरत है। एक तिहाई से भी कम रोगियों को डायट और व्यायाम के बारे में उचित परामर्श मिला, जिससे कि जीवनशैली में सुधार लाकर जोखिम कम किया जा सकता था।

केवल नौ फीसद ले रहे थे कोलेस्ट्राल संबंधी दवा

इतना ही नहीं, शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में मधुमेह की पुष्टि भी हो चुकी थी, उनमें से 85 फीसद ब्लड शुगर कम करने, 57 फीसद ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने की दवाएं ले रहे थे जबकि सिर्फ नौ फीसद ही कोलेस्ट्राल का स्तर ठीक रखने वाली दवा ले रहे थे। 74 फीसद को खानपान का परामर्श मिला और महज 66 फीसद को व्यायाम तथा वजन के बारे में जानकारी दी गई।

विस्‍फोटक रूप ले रहा मधुमेह

अध्ययन के मुख्य लेखक डेविड फ्लड का कहना है कि मधुमेह दुनियाभर में विस्फोटक रूप ले रहा है और इसके रोगियों में 80 फीसद लोग कम व मध्यम आय वर्ग वाले देशों में हैं। इसके कारण हार्ट अटैक, अंधत्व और स्ट्रोक जैसी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं पैदा होती हैं। जबकि मधुमेह के व्यापक और उचित इलाज से हम इन जोखिमों पर रोकथाम लगा सकते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि दुनियाभर के लोगों को इस बीमारी का इलाज सुलभ हो सके।

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