पुलिस प्रणाली को पारदर्शी स्वतंत्र जवाबदेह एवं जन हितैषी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर एक आदर्श पुलिस विधेयक बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। पढ़ें यह रिपोर्ट…
नई दिल्ली, पीटीआइ। पुलिस प्रणाली को पारदर्शी, स्वतंत्र, जवाबदेह एवं जन हितैषी बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर एक ‘आदर्श पुलिस विधेयक’ बनाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। यह याचिका अधिवक्ता और दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है।
केंद्र को निर्देश देने की मांग
उपाध्याय ने याचिका में अपील की है कि केंद्र को एक न्यायिक आयोग या एक विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश दिया जाए जो विकसित देशों, खासतौर पर अमेरिका, सिंगापुर और फ्रांस के पुलिस कानूनों का अध्ययन करे और आदर्श पुलिस विधेयक का मसौदा तैयार करे। उनकी इस जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई हो सकती है।
देश में जनता की पुलिस नहीं
याचिका में कहा गया कि 1984 के दंगे, 1990 में कश्मीरी हिंदुओं पर अत्याचार और बंगाल में 2021 में भी यही हुआ और वह भी दिनदहाड़े, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया, क्योंकि हमारे पास शासकों की पुलिस है, जनता की पुलिस नहीं।
प्रभावहीन हो गया है पुलिस अधिनियम
याचिका में यह भी दलील दी गई है कि औपनिवेशिक पुलिस अधिनियम 1861 प्रभावहीन और पुराना हो गया है और यह कानून व्यवस्था, स्वतंत्रता एवं सम्मान से जीवन जीने के अधिकारों को कायम रखने में विफल हो गया है।
कानून के शासन के लिए बड़ा खतरा
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई बार पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों या सांसदों की सहमति के बिना प्राथमिकी दर्ज नहीं करती। पुलिस का यह राजनीतीकरण लोगों की स्वतंत्रता, उनके अधिकारों एवं कानून के शासन के लिए बड़ा खतरा है।