अफगानिस्तान को आठ हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से यूएन ने की घोषणा

संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के तौर पर 1.2 बिलियन डालर (करीब आठ हजार आठ सौ करोड़) की मदद देगा। यह मदद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से जुटाई जा रही है। सहायता के संबंध में जेनेवा में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था।

 

जेनेवा, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के तौर पर 1.2 बिलियन डालर (करीब आठ हजार आठ सौ करोड़) की मदद देगा। यह मदद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग से जुटाई जा रही है। सहायता के संबंध में जेनेवा में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने मानवीय सहायता की जरूरतों को रेखांकित करते हुए कहा कि इस देश में अभी आतंकवाद, मानवाधिकार और सरकार की प्रकृति को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।

संयुक्त राष्ट्र की सोमवार को आयोजित उच्चस्तरीय बैठक में मानवीय सहायता की जरूरतों को लेकर विचार किया गया। बैठक में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वित्तीय मदद करने की अपील की गई। बैठक के समापन पर यूएन की अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ ने घोषणा की कि अफगानस्तान को सदस्य देशों ने 1.2 बिलियन डालर की मदद देने की घोषणा की है।

यूएन महासचिव गुतेरस ने कहा कि यह बैठक अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के मामले में उनकी उम्मीदों पर पूरी खरी उतरी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में तालिबान के साथ कई समस्याओं को लेकर जुड़ना जरूरी हो गया है। फिर चाहे वह आतंकवाद, मानवाधिकार या ड्रग्स के मुद्दे हों। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि हमें अफगानिस्तान में बने रहना चाहिए और यहां की समस्याओं और भविष्य की अप्रत्याशित स्थितियों पर काम करना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान के अंदर मानवीय सहायता प्रदान करना देश के वास्तविक अधिकारियों से जुड़े बिना असंभव है। उन्होंने कहा, ‘वर्तमान समय में तालिबान के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संबंधित सभी चिंताओं के लिए जुड़ना बहुत महत्वपूर्ण है, चाहे वह आतंकवाद हो, मानवाधिकारों हो, ड्रग्स हो या सरकार की प्रकृति हो। हमारा रवैया जुड़ने का है।

गुतेरस ने कहा कि पिछले महीने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में ‘दुखद घटनाएं’ सामने आईं। इस दौरान ‘सामूहिक पलायन, हवाई अड्डे पर अराजकता, दहशत की स्थिति देखने को मिली। उन्होंने फैसला किया कि संयुक्त राष्ट्र को देश में रहना चाहिए और सभी कठिनाइयों और भविष्य के सभी अप्रत्याशित पहलुओं को लेकर काम करना चाहिए।

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