फिर से फैजुल्लागंज चर्चा में है। यहां बारिश के बाद हालात बदतर हो गए थे जलभराव से सभी परेशान थे और अब बारिश के बाद का दर्द है लेकिन फैजुल्लागंज और उस जैसे अविकसित इलाकों के लिए एलडीए के अफसर ही दोषी हैं जिन्होंने प्रापर्टी डीलरों पर अंकुश नहीं लगाया
लखनऊ । फिर से फैजुल्लागंज चर्चा में है। यहां बारिश के बाद हालात बदतर हो गए थे जलभराव से हर कोई परेशान था और अब बारिश के बाद का दर्द है लेकिन फैजुल्लागंज और उस जैसे अविकसित इलाकों के लिए एलडीए के अफसर ही दोषी हैं, जिन्होंने प्रापर्टी डीलरों पर अंकुश नहीं लगाया और अवैध तरह से हो रही प्लाटिंग को बढ़ावा दिया। इन कॉलोनियों का ले-आउट पास भी नहीं है। खास बात यह है कि अभी भी ऐसी प्लाटिंग हो रही है लेकिन एलडीए मौन है।
बात एक फैजुल्लागंज की नहीं है, बल्कि छद्म नाम से अनगिनत फैजुल्लागंज बसते जा रहे हैं। आप इसी से अंदाजा लगा सकत हैं कि पहले फैजुल्लागंज एक वार्ड होता था लेकिन दस सालों में इस अनियोजित कॉलोनी का विस्तार इस कदर होता रहा कि बढ़ती आबादी के कारण फैजुल्लागंज को चार वार्डों में बांटना पड़ा था।इन इलाकों में तो जलनिकासी का इंतजाम किया गया और नाही बिजली के लिए खंभे। खेत की ही प्लाटिंग कर दी गई और ऐसे प्रापर्टी डीलरों को अतीत से विधायक और पार्षदों ने मदद की। अपनी निधि से कुछ सड़क बनाकर वोट बैंक की राजनीति की गई तो दूसरी तरफ नगर निगम से हो रहे विकास कार्यों का सब्जबाग दिखाकर प्रापर्टी डीलरों से महंगे प्लाट बेचा।
अगर बात फैजुल्लागंज की जाए तो यह गोमती नदी का डूब क्षेत्र जैसा ही है। दूर तक जलनिकासी का कोई इंतजाम नहीं है। एक दशक से अधिक समय से यहां बारिश के बाद जलभराव होता है। कई कई दिनों तक पानी सड़कों और प्लाट में भरा रहता है। सब्जबाग देखकर जमीन खरीदने वाले पछता रहे हैं। एक जगह से दूसरी जगह पानी को पंप कर फेंका जाता है लेकिन यह कोई अंतिम निदान नहीं होता है। अफसर भी बैठक बुलाते हैं और फिर जलनिकासी के लिए बड़ी योजनाएं बनती है। बजट तय होता है लेकिन बारिश के बाद सब कागजों में रह जाता है और फिर अगली बारिश में जलभराव होते ही शासन के अफसर भी सक्रिय हो जाते हैं और पुरानी फाइल खोजी जाती है लेकिन समस्या का जड़ से निदान कोई प्रयास नहीं हुआ।
एलडीए-नगर निगम दोनों दोषीः एलडीए द्वारा महायोजना 2021 में चिन्हित शहर की 243 अवैध कालोनियां के अलावा बाद भी इनका विस्तार होता गया। एलडीए ने जहां इन अनियोजित कालोनी के बनने पर अनदेखी की तो नगर निगम ने सरकारी धन लगाकर वहां विकास कराके इन कालोनियों को बढऩे का मौका दिया। नियमानुसार एलडीए से ले-आउट पास होने के बाद ही कोई कालोनी बनाई जा सकती है। फैजुल्लागंज को बसाने में एक पूर्व पार्षद की अहम भूमिका रही, जिसने नगर निगम की जमीनों को ही बेंच डाला और पार्षद के सहयोग में खड़े नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी मौन रहे। जमीन से अकूत संपत्ति कमाने वाले पूर्व पार्षद के खिलाफ अगर किसी ने आवाज उठाई तो कार्रवाई के डर से वह नगर निगम के अधिकारियों का मुंह पैसा खर्च कर बंद कर देता है।
जारी है प्लानिंगः अमौसी, कनौसी, हनुमान पुरी, खरगापुर, हरदासी खेड़ा, शेखपुर, कसैला, आलमनगर, बुद्धेश्वर मंदिर के आसपास का क्षेत्र, चिनहट, सराय शेख जैसे तमाम इलाके हैं, जहां प्लाटिंग जारी है लेकिन वहां विकास जैसा कुछ भी नहीं है। इसमे प्रापर्टी डीलर मिलीभगत से नगर निगम की जमीन को भी बेंच रहे हैं। – ऐसी अनियोजित कॉलोनियों में ड्रेनेज, सीवर और रास्तों की समस्या रहती है। बिन बारिश ही जलभराव रहता है। बारिश में तो तालाब का नजारा रहता है।
45 करोड़ की रकम से मिलेगी राहतः फैजुल्लागंज बसाने वाले तो करोड़ पति हो गए लेकिन अब वहां रहने वालों को जलभराव से निजात दिलाने पर 45 करोड़ का खर्च आए। इस रकम को पाने के लिए नगर निगम हर बार शासन को पत्र भेजता है, जो फाइलों में ही कैद हो जाता है। अब नगर निगम ने रक्षा मंत्री को पत्र भेजकर अमृत योजना से बजट दिलाने का आग्रह किया है। आइआइएम रोड सेमरा मधुबन बिहार से हरिओम नगर, ककौली, गौरभीठ, घैला रोड पेट्रोल पंप हनुमंतनगर, दुगऽर पुरी, दाउद नगर, साठ फीटा रोड के किनारे-किनारे होकर करीब 9.4 किलोमीटर पुराने कच्चे नाले को बनाने की योजना है। इस पर 45 करोड़ खर्च होंगे।