नई दिल्ली। देश में इस वर्ष जुलाई में पिछले वर्ष की तुलना में कोयला उत्पादन 19.33 फीसद तक बढ़ा है। सरकारी आंकड़े इस बात की भी गवाही दे रहे हैं कि बीते दो वर्षों में बिजली उत्पादन भी बढ़ा है।
नई दिल्ली । आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन में होने वाली जिस कमी की आशंका जताई जा रही है उसकी सबसे बड़ी वजह कोयले की कमी है। जानकार मानते हैं कि कोयले के खनन में आई कमी की वजह से और बारिश है। यहां तक कहा जा रहा है कि कुछ बिजली उत्पादन करने वाले केंद्रों पर कुछ ही दिनों के कोयले का स्टाक बचा हुआ।
हालांकि सरकारी आंकड़े ये भी बयां कर रहे है कि कोयले का उत्पादन बढ़ा है। कोयला मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक भारत में दिसंबर 2020 में 103.66 बिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। ये जानकारी सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी आथरिटी के हवाले से दी गई है। हालांकि, मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस वर्ष जुलाई में कोयले का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 19.33 फीसद तक बढ़ा है। पिछले वर्ष इसी दौरान जहां 45.55 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ था वहीं जुलाई 2021 में ये उत्पादन बढ़कर 54.36 मैट्रिक टन हुआ है।
देश के ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि बिजली की कुल खपत वर्ष 2019 से 2021 में करीब 2000 करोड़ यूनिट प्रतिमाह तक बढ़ गई है। आंकड़ों के मुताबिक 2019 के मुकाबले इस वर्ष के अगस्त-सितंबर माह में कोयले की खपत भी करीब 18 फीसद तक बढ़ गई है। आपको बता दें कि देश में करीब 300 अरब टन कोयले का भंडार है। अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया और अमेरिका से भी कोयले का आयात करना पड़ता है। इस दौरान कोयले की कीमत में भी काफी वृद्धि हुई है। इंडोनेशिया से ही आने वाले कोयले की कीमत करीब 60 डालर प्रतिटन से बढ़कर 200 डालर प्रति टन तक जा पहुंची है। कीमतों में आई तेजी की वजह से कोयले के आयात पर भी असर पड़ा है।