शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई थी। शुरुआत में फ्लॉप रही फ़िल्म ने कामयाबी की ऐसी दास्तां लिखी जो भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में दर्ज़ हो गयी। धर्मेंद्र ने वीरू और अमिताभ बच्चन ने जय का किरदार निभाया था।
नई दिल्ली, सोनी टीवी पर प्रसारित हो रहे गेम शो में इस शुक्रवार (15 अक्टूबर) को शोले रीयूनियन होने वाला है। हिंदी सिनेमा की इस आइकॉनिक फ़िल्म के 46 साल पूरे होने के जश्न को सेलिब्रेट करने के लिए निर्देशक रमेश सिप्पी और बसंती हेमा मालिनी कौन बनेगा करोड़ पति में ख़ास मेहमान बनकर शामिल होने वाले हैं। रमेश सिप्पी और हेमा मालिनी शोले के जय यानी अमिताभ बच्चन के साथ गेम खेलेंगे, साथ ही इस फ़िल्म की यादें ताज़ा करेंगे।
सोनी ने शानदार शुक्रवार एपिसोड का प्रोमो जारी कर दिया है, जिसमें हॉट सीट पर रमेश सिप्पी और हेमा मालिनी बैठे नज़र आ रहे हैं। प्रोमा में अमिताभ बच्चन असरानी के किरदार जेलर की नकल करते नज़र आते हैं और उन्हीं के अंदाज़ में हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं बोलते हैं तो हेमा मालिनी का हंसते-हंसते बुरा हाल हो जाता है। शो में तीनों लोग मिलकर शोले की मेकिंग और बिहाइंड द सींस के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य और जानकारियां साझा करेंगे।
इस मौक़े पर हेमा मालिनी और अमिताभ अपने सुपर हिट गाने दिलबर मेरे पर परफॉर्म भी करेंगे। निर्देशक रमेश सिप्पी, अमिताभ और हेमा मालिनी के साथ शोले के कुछ यादगार दृश्यों को रिक्रिएट करवाएंगे। दोनों सेलेब्रिटी कंटेस्टेंट्स शो में जो भी राशि जीतेंगे वो किसी सोशल कॉज के लिए दान दे दी जाएगी।
बता दें, शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई थी। शुरुआत में फ्लॉप रही फ़िल्म ने कामयाबी की ऐसी दास्तां लिखी, जो भारतीय फ़िल्मों के इतिहास में दर्ज़ हो गयी। एक पुलिस ऑफ़िसर और ख़ूंखार डाकू के बीच दुश्मनी और बदले की इस कहानी में धर्मेंद्र ने वीरू और अमिताभ बच्चन ने जय का किरदार निभाया था। हेमा मालिनी बसंती और जया भादुड़ी राधा के रोल में थीं। फ़िल्म कथा-पटकथा सलीम-जावेद ने लिखी थी। संगीत आरडी बर्मन ने दिया था। शोले का एक-एक किरदार आज भी दर्शकों के ज़हन में बसा है।
ठाकुर के रोल में संजीव कुमार, गब्बर सिंह के किरदार में अमजद ख़ान, जेलर बने असरानी, सूरमा भोपाली के रोल में जगदीप हों या फिर साम्बा के रोल में मैक मोहन और कालिया के किरदार में वीजू खोटे… दृश्यों और संवादों में इन किरदारों को इस तरह पिरोया गया है कि रोल की लम्बाई कम होने के बावजूद यह यादगार बन गये।