पीएम मोदी कल करेंगे भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का उद्घाटन, जानिए क्या है इसकी खासियत

स्टेशन परियोजना की कुल लागत लगभग 450 करोड़ रुपये है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एंट्री और एग्जिट गेट अलग-अलग हैं। प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए स्टेशन पर एस्केलेटर और लिफ्ट लगाए गए हैं। ओपन कानकोर्स में 700 से 1100 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है।

 

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मध्य प्रदेश के भोपाल दौरे पर रहेंगे। पीएम मोदी की यात्रा से पहले भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है। 15 नवंबर को पीएम मोदी द्वारा पुनर्निर्मित स्टेशन का उद्घाटन किया जाएगा। यह देश का पहला विश्व स्तरीय माडल स्टेशन है और इसमें सभी सुविधाएं हैं जो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर उपलब्ध हैं। इसे एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया गया है और एक निजी कंपनी द्वारा बनाया गया है।

 

स्टेशन परियोजना की कुल लागत लगभग 450 करोड़ रुपये है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एंट्री और एग्जिट गेट अलग-अलग हैं। प्लेटफार्म तक पहुंचने के लिए स्टेशन पर एस्केलेटर और लिफ्ट लगाए गए हैं। ओपन कानकोर्स में 700 से 1,100 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था की गई है। ट्रेनों की आवाजाही की जानकारी के लिए पूरे स्टेशन पर अलग-अलग भाषाओं के डिस्प्ले बोर्ड लगाए गए हैं।

स्टेशन में फूड कोर्ट, रेस्तरां, वातानुकूलित प्रतीक्षालय, छात्रावास, वीआईपी लाउंज भी बनाए जाएंगे। चौबीसों घंटे निगरानी रखने के लिए स्टेशन पर लगभग 160 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम आदिवासी क्वीन के नाम से जानी जाने वाली ‘रानी कमलापति’ के नाम पर रखने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद दिया।

समाचार एजेंसी एएनआइ से संक्षेप में बात करते हुए मुख्यमंत्री ने आभार व्यक्त किया और कहा, ‘मैं भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम आदिवासी क्वीन रानी कमलापति के नाम पर रखने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं। वह गोंड समाज का गौरव थीं। वह आखिरी हिंदू रानी थीं।’

मध्य प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को केंद्र को पत्र लिखकर भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम आदिवासी क्वीन रानी कमलापति के नाम पर रखने को कहा था। राज्य के परिवहन विभाग के पत्र में बताया गया है कि स्टेशन का नाम बदलना भी 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने के केंद्र सरकार के निर्णय के अनुसार है, जो श्रद्धेय आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की याद में है।

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