भारतीय क्रिकेट टीम में आखिरी बार रोटेशन पालिसी को साल 2012 में अपनाया गया था लेकिन ये नीति टीम के काम नहीं आई और अब जब वर्कलोड की बात उठ रही है तो फिर से रोटेशन पालिसी को अपना जाने के लिए गीत गाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। महान कप्तान कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट द्वारा अपने खिलाड़ियों के कार्यभार के प्रबंधन के लिए रोटेशन नीति अपनाए जाने की संभावना पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूरे वर्ष क्रिकेट खेलनी होती है। ऐसे में वर्कलोड शब्द चर्चा में आता है। इसलिए कपिल देव ने पूछा है कि भारतीय टीम में पर्याप्त गहराई है और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लगभग 50 खिलाड़ियों का एक पूल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए तैयार है, रोटेशन नीति एक आकर्षक विकल्प है, लेकिन क्या यह भारतीय क्रिकेट में फिट होगा?
1983 में देश को विश्व कप जिताने वाले कप्तान कपिल देव ने अनकट में कहा, “मैं इसके बारे में (भारतीय खिलाड़ियों को रोटेट करने पर) निश्चित नहीं हूं। मुझे लगता है कि बीसीसीआइ के भीतर के लोग इस पर फैसला ले सकते हैं। मुझे किसी एक व्यक्ति की विचार प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए। खिलाड़ियों और बीसीसीआइ अधिकारियों के एक समूह को बैठकर यह पता लगाना चाहिए कि कितना क्रिकेट खेलना है। यदि आप खिलाड़ियों को रोटेट करते हैं और इस पालिसी को अपनाते हैं तो यह आपको मुश्किल स्थिति में ला सकता है।”
रोटेशन पालिसी एक बार भारतीय क्रिकेट द्वारा एमएस धौनी की कप्तानी में अपनाई गई थी, जब भारत ने 2012 में वीबी त्रिकोणीय सीरीज खेलने के लिए आस्ट्रेलिया का दौरा किया था, जिसे मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिली थीं। श्रीलंका और मेजबान आस्ट्रेलिया के साथ उस त्रिकोणीय श्रृंखला में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर की विशेषता वाले भारत के शीर्ष तीन को रोटेट किया गया था और टीम 8 मैचों में सिर्फ 3 मैच जीत पाई थी। यहां तक कि भारत फाइनल में भी नहीं पहुंच सका था।
हाल ही की बात करें तो इंग्लैंड क्रिकेट टीम ने रोटेशन पालिसी अपनाई थी, जब इंग्लैंड ने भारत का दौरा किया था। इस पालिसी के कारण इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और मैनेजमेंट की आलोचना हुई थी, क्योंकि जिन खिलाड़ियों ने पहले कुछ मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया था, उनको रोटेट किया गया और वे सीरीज नहीं खेले। कपिल देव का कहना है कि इससे काफी मुश्किल हो सकती है।
उन्होंने कहा, “क्या होगा यदि यह एक फाइनल है और आपको रोहित शर्मा और विराट कोहली दोनों को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है? अंतहीन आलोचना होने वाली है। इसलिए यह रोटेशन नीति मेरी समझ से बाहर है। जैसा मैंने कहा, खिलाड़ियों के समूह को एक साथ आना चाहिए और अगर उन्हें लगता है कि यह आगे बढ़ने का सही तरीका है, तो इसे अपनाया जाना चाहिए।”