अयोध्या में रामलला का दर्शन भी निकट से सुलभ होने लगा है। ठंड से बचाने के लिए रेशमी रजाई का किया जा रहा उपयोग चांदी के पालने पर कराया जा रहा शयन और भोग में परोसे जा रहे भांति-भांति के व्यंजन।
अयोध्या, प्रधानमंत्री के आश्वासन के अनुरूप देश के अच्छे दिन आए या नहीं, इस विमर्श से विलग रामलला के अच्छे दिन निश्चित रूप से आ गए हैं। यह सच्चाई रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के साथ रामलला की नित्य सेवा-पूजा, समय-समय पर होने वाले उत्सव और नियमित भोग-राग से परिभाषित हो रही है। रामलला को ठंड से बचाने के लिए रेशमी रजाई का उपयोग किया जा रहा है, तो भोग में भांति-भांति के व्यंजन परोसे जा रहे हैं। रामलला के अच्छे दिन की संभावना नौ नवंबर 2019 को मंदिर विवाद का फैसला आने के साथ प्रशस्त हुई। न केवल भव्य मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू हुई, बल्कि रामलला की सहेज-संभाल भी नई संभावनाओं के साथ शुरू हुई।
निर्णय आने से पूर्व यथास्थिति बनाए रखने की विवशता के चलते रामलला की सेवा-पूजा ओर भोग-राग में छोटी से छोटी जरूरतें पूरी करने तक के लाले थे, ङ्क्षकतु यथास्थिति की विवशता से मुक्त होते ही आमूल-चूल बदलाव हुआ। शुरुआत 25 मार्च 2020 को हुई, जब रामलला को मूल गर्भगृह से वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित किया गया। मंदिर निर्माण की ²ष्टि से यह आवश्यक भी था और यह आवश्यकता पूरी करने के साथ वैकल्पिक गर्भगृह में भी रामलला की गरिमा औैर साज-सज्जा का भी पूरा ख्याल रखा गया। मूल गर्भगृह में तिरपाल के अस्थाई मंदिर की बजाय वैैकल्पिक गर्भगृह को आकर्षक और सु²ढ़ फाइबर तथा कीमती लकडिय़ों से निर्मित कराया गया।
रामलला का दर्शन भी निकट से सुलभ होने लगा और रामलला की जो आरती इक्का-दुक्का अर्चकों के साथ होती थी, उसमें 20 से 25 श्रद्धालु भी उपस्थित रहने लगे। प्रशासनिक रिसीवर की निगरानी में तब रामलला को साल में मात्र सात पोशाक ही सुलभ हो पाते थे, वहीं अब इसकी संख्या सैकड़ों में है। इस सच्चाई से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि सुप्रीम फैसला आने के साथ रामलला के प्रति श्रद्धालुओं की उत्सुकता कई गुना बढ़ चुकी है और वे रामलला के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़े रखना चाहते। इसी क्रम में राम मंदिर निर्माण के लिए न केवल हजारों करोड़ की नकदी, क्विंटलों चांदी और प्रचुर मात्रा में सोना एकत्र हो चुका है, बल्कि रामलला भाइयों के विग्रह सहित लकड़ी के सिंहासन से ऊपर उठकर चांदी के सिंहासन पर विराजमान हो चुके हैं। हाल ही में उन्हें एक भक्त ने चांदी का पालना अर्पित किया है और अब रामलला इसी पालने पर शयन करते हैं। ठंडी के दिनों में रजाई, गर्म कपड़ों और ब्लोअर-हीटर जैसे उपकरण का प्रबंध दूर की कौड़ी हुआ करता था, पर अब रामलला का गर्भगृह इन उपकरणों से युक्त हो चुका है। …तो गर्मी से बचाव के लिए गर्भगृह एयर कंडीशनर से युक्त हो चला है।
अखंड दीप की पूरी हुई साध : रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास याद करते हैं, चाहे जितनी गर्मी हो रामलला एक पंखे के भरोसे रहते थे। गर्मी से बचाव के लिए एयर कंडीशनर और ठंडी से बचाव के लिए हीटर-ब्लोअर जैसे उपकरण का प्रबंध असंभव होता था, किंतु अब रामलला को यह सारे संसाधन सहज उपलब्ध हो रहे हैं। वे लंबे समय से रामलला के दरबार में अखंड दीप जलाना चाहते थे, किंतु उनकी यह इच्छा इस वर्ष पूरी हो सकी। वह अत्यंत प्रसन्नता से यह भी बताते हैं कि अब रामलला को प्रतिदिन खीर का भी भोग लगाया जा रहा है, जो पहले संभव नहीं हो पा रहा था। रामलला के भोग में हलुवा भी अब आए दिन शामिल होने लगा है। पोशाक के जिक्र पर मुख्य अर्चक बताते हैं, आज रामलला के पास इतनी पोशाक है कि उन्हें प्रतिदिन नई पोशाक धारण कराई जा सकती है।