सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1 जनवरी 1986 से हजारों अफसरों की पे रीफिक्स की गई है। ऐसा उनकी रैंक पे में कटौती न करके हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक अफसरों को 2006 से उनकी रैंप पे पर 6 फीसद की दर से ब्याज भी देना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सरकार के पास करोड़ों रुपये ऐसे जमा हैं, जो उसके लिए सिरदर्द बन गए हैं। ये रुपये उन हजारों अफसरों के हैं, जो कई साल पहले रिटायर हो गए लेकिन अपनी रैंक पे (Rank Pay) का बकाया क्लेम करने नहीं आए। विभाग भी मजबूर है क्योंकि उसके पास उनका पता-ठिकाना नहीं है और दूसरे वह तमाम जगह चिट्ठी लिख-लिख कर इन रिटायर अफसरों का ब्योरा मांग रहा है। यह सिलसिला कई साल से जारी है।
कौन से अफसर हैं शामिल
Principal Controller of Defence Accounts (Officers) के आइडीएएस डॉ. राजीव चव्हाण के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1 जनवरी 1986 से हजारों अफसरों की पे रीफिक्स की गई है। ऐसा उनकी रैंक पे में कटौती न करके हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन अफसरों को 1 जनवरी 2006 से उनकी रैंप पे पर 6 फीसद की दर से ब्याज भी देना है। हालांकि आम तौर पर जब पैसा सरकार के खाते में जमा होता है तो उसे ब्याज आमदनी होती है, लेकिन इस मामले में उसे अपने पास से पेमेंट करना होगा। यानि जितने दिन उसके पास रैंप पे की रकम जमा रहेगी, उसे तब तक का ब्याज देना होगा।
क्या है दिक्कत
डॉ. राजीव चव्हाण के मुताबिक PCDA पुणे को 5,74,20,73,914 रुपये 52330 Veterans को देनी थी। लेकिन इनमें से 5299 रिटायर अफसरों का पेमेंट अटका पड़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका घर का पता या बैंक डिटेल विभाग के पास नहीं है। इससे वह रकम ट्रांसफर नहीं कर पा रहा है। इसके उलट उसे मोटा ब्याज भी देना पड़ेगा।
इलाहाबाद दफ्तर को गया आदेश
डॉ. राजीव चव्हाण के मुताबिक चूंकि पीसीडीए (पी), इलाहाबाद का कार्यालय पेंशनभोगियों के रोल सहित सभी रिकॉर्ड बनाए रखता है तो वह पता और फोन नंबर जैसे अन्य विवरण मुहैया कराए। डॉ. राजीव चव्हाण के मुताबिक मुख्यालय सीजीडीए, नई दिल्ली लाभार्थी को रैंक पे बकाया का जल्द पेमेंट करने के लिए कह रहे हैं। इसलिए आग्रह है कि रिटायर अफसरों का विवरण, पता, मोबाइल नंबर, ईमेल डेटा बेस से निकाल कर दें।