लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अपने मूल आवंटियों को जिन्हें भूखंड आवंटित करने के दशकों बाद भी कब्जा नहीं दे सका उनकी एक बार फिर नई सूची बनाकर नई योजना में समायोजन किया जाएगा। यह प्रकिया अप्रैल 2022 से शुरू की जा सकती है। शासन से इसकी मंजूरी ली जाएगी।
लखनऊ, लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) अपने मूल आवंटियों को जिन्हें भूखंड आवंटित करने के दशकों बाद भी कब्जा नहीं दे सका, उनकी एक बार फिर नई सूची बनाकर नई योजना में समायोजन किया जाएगा। यह प्रकिया अप्रैल 2022 से शुरू की जा सकती है। लविप्रा, उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि शासन से इसकी मंजूरी ले जी जाएगी और समायोजन ऐसे आवंटियों का किया जाएगा, जिनकी गाढ़ी कमाई लविप्रा में आज तक जमा है।
उन्होंने बताया कि लविप्रा के पास सूची ऐसे लोगों की है, लेकिन उसे क्लब करके यह काम किया जाएगा।एक स्थान पर ऐसे लोगों को भूखंड देने का प्रयास किया जाएगा, इसमें यह नहीं चलेगा कि हमे वहां नहीं चाहिए या वहां की लोकेशन अच्छी नहीं है। ऐसे आवंटियों के पास अपना पैसा ब्याज सहित लेने का विकल्प भी रहेगा। उन्होंने बताया कि लविप्रा का प्रयास है कि जमीन के बदले जमीन आवंटियों को दी जाए। लखनऊ विकास प्राधिकरण की अलग-अलग योजना में अपनी गलतियों के कारण प्राधिकरण भूखंड नहीं दे सका। कही भूखंड तालाब में काट दिए गए, तो कही कब्रिस्तान पर। अगर बात की जाए तो विवादित भूखंडों की तो सबसे अधिक कानपुर रोड स्थित मानसरोवर योजना में है। यहां करीब ढाई सौ से अधिक भूखंड प्राधिकरण की नियोजन शाखा द्वारा आंख मूंदकर काटे गए। मौके पर जमीन किसान से विवादित है या धार्मिक स्थल कोई आ रहा है, देखा तक नहीं गया। इस प्रकिया में अभियंत्रण की अनदेखी भी ढिलाई भी। इसके कारण गोमती नगर विस्तार, जानकीपुरम विस्तार, प्रियदशर्नी नगर योजना, कानपुर रोड के आवंटी आज भी अपने भूखंडों के लिए भटक रहे हैं। इनमें कई आवंटी अपने भूखंड की आस में दुनिया छोड़ गए तो कई इतने बुजुर्ग हो गए हैं कि उनके परिजन लविप्रा के चक्कर लगा रहा है। अब ऐसे लोगों को लविप्रा उपाध्यक्ष के इस निर्णय से उम्मीदें हैं।
मेरा पूरा प्रयास है कि ऐसे मूल आवंटियों को एक स्थान पर भूखंड देकर राहत देने का काम किया जाए। इसके लिए शासन स्तर पर जाकर समायोजन जो बंद किया गया था, उसके लिए वरिष्ठों से वार्ता करके हल निकलवाया जाएगा। उद्देश्य है कि लविप्रा ऐसे आवंटियों को भूखंड देगा। -अक्षय त्रिपाठी, उपाध्यक्ष, लविप्रा